लखनऊ. राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने आरटीआई एक्ट का उल्लंघन
करने वाले सात अफसरों पर 25 - 25 हजार रुपये का जर्माना लगाया है। साथ ही
चार मामलों में उच्चाधिकारियों को जांच के आदेश दिए हैं। जिन अफसरों पर
जुर्माना लगाया गया है उनमें संभल के सीएमओ. विद्युत वितरण खंड के अधिशासी
अभियंता, जिला पंचायत अधिकारी, कानपुर के क्षेत्रीय दुग्ध विकास अधिकारी,
ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के निदेशक और उप्र फुटबाल संघ के सचिव प्रमुख हैं।
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
मंगलवार, 23 जून 2015
शनिवार, 13 जून 2015
आइसना एवं RTI फोरम संगठन का संभागीय अधिवेसन 26 जून को खुजराहो में
Toc News @ khujraho
26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् (आइसना) ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन
पर्यटन नगरी खजुराहो में 26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् (आइसना) ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन किया जा रहा है. जिसमें आप सबकी उपस्थिति सादर बंदनीय है इस कार्यक्रम में पर्यटन नगरी खजुराहो में 26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन किया जा रहा है. जिसमें आप सबकी उपस्थिति सादर बंदनीय है इस कार्यक्रम में
1.सूचना का अधिकार के नियम में आवश्यक संशोधन करवाये जाने के बारे में विचार किया जाना है।
2. पत्रकार्ता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जानी है
3. इस कार्यक्रम में पत्रकारिता जगत में अपनी कलम का लोहा मनवा चुके नामचीन पत्रकारों का सम्मान किया जाना होगा.
4. सुचना का अधिकार के RTI के सम्बन्ध में नागरिको को जागृत करने वाले व् राजनेतिक क्षेत्र से जनता की लड़ाई लड़ने वाले राजनेता व् बुंदेलखंड के बिकास के सम्बन्ध में कार्य करने वाले समाज सेबियो व अधिकारीओ का भी सम्मान किया जाना हे इस कार्यक्रम में दिल्ली भोपाल सतना सागर से न्यूज़ चैनल व् न्यूज़ पेपर से नामचीन पत्रकार पधार रहे है. इनके आलावा खजुराहो के लोकप्रिय सांसद नागेन्द्र सिंह जी फ़िल्म एक्टर राजा बुन्देला जी संभागीय कमिश्नर आर के माथुर जी जिले डीएम मसूद अख्तर जी एस पी ललित सक्वार् जी विधायक विक्रम जी नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना सिंह जी नगर परिषद अध्यक्ष महारानी कविता सिंह जी भाजपा की युबा पहचान पुष्पेन्द्र सिंह गुड्डू राजा जी डिप्टी कलेक्टर एसडीऍम एसडीओपी तहसीलदार टीआई CIO Cmo Sdo को अमंत्रित किया गया है.
कार्यक्रम स्थल यूथ हॉस्टल खजुराहो समय सुबह 10 से साम 6 तक कार्यक्रम के अयोजक देवेन्द्र चतुर्वेदी सम्भागीय अध्यक्ष RTI एवं जिला अध्यक्ष ऑल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन व् सांसद मिडिया प्रभारी खजुराहो व विनय जी डेविड RTI व् "आल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोशिएशन" के प्रदेश महासचिव का भी सम्मान किया जाना है
26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् (आइसना) ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन
पर्यटन नगरी खजुराहो में 26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् (आइसना) ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन किया जा रहा है. जिसमें आप सबकी उपस्थिति सादर बंदनीय है इस कार्यक्रम में पर्यटन नगरी खजुराहो में 26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन किया जा रहा है. जिसमें आप सबकी उपस्थिति सादर बंदनीय है इस कार्यक्रम में
1.सूचना का अधिकार के नियम में आवश्यक संशोधन करवाये जाने के बारे में विचार किया जाना है।
2. पत्रकार्ता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जानी है
3. इस कार्यक्रम में पत्रकारिता जगत में अपनी कलम का लोहा मनवा चुके नामचीन पत्रकारों का सम्मान किया जाना होगा.
4. सुचना का अधिकार के RTI के सम्बन्ध में नागरिको को जागृत करने वाले व् राजनेतिक क्षेत्र से जनता की लड़ाई लड़ने वाले राजनेता व् बुंदेलखंड के बिकास के सम्बन्ध में कार्य करने वाले समाज सेबियो व अधिकारीओ का भी सम्मान किया जाना हे इस कार्यक्रम में दिल्ली भोपाल सतना सागर से न्यूज़ चैनल व् न्यूज़ पेपर से नामचीन पत्रकार पधार रहे है. इनके आलावा खजुराहो के लोकप्रिय सांसद नागेन्द्र सिंह जी फ़िल्म एक्टर राजा बुन्देला जी संभागीय कमिश्नर आर के माथुर जी जिले डीएम मसूद अख्तर जी एस पी ललित सक्वार् जी विधायक विक्रम जी नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना सिंह जी नगर परिषद अध्यक्ष महारानी कविता सिंह जी भाजपा की युबा पहचान पुष्पेन्द्र सिंह गुड्डू राजा जी डिप्टी कलेक्टर एसडीऍम एसडीओपी तहसीलदार टीआई CIO Cmo Sdo को अमंत्रित किया गया है.
कार्यक्रम स्थल यूथ हॉस्टल खजुराहो समय सुबह 10 से साम 6 तक कार्यक्रम के अयोजक देवेन्द्र चतुर्वेदी सम्भागीय अध्यक्ष RTI एवं जिला अध्यक्ष ऑल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन व् सांसद मिडिया प्रभारी खजुराहो व विनय जी डेविड RTI व् "आल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोशिएशन" के प्रदेश महासचिव का भी सम्मान किया जाना है
शुक्रवार, 12 जून 2015
फर्म्स एवं सोसायटी विभाग में आरटीआई नियम लागू नहीं
Bhopal @ Vinay David
भोपाल। प्रदेश स्थित फर्म्स एवं संस्थाएं विभाग में सूचना के अधिकार के तहत अपने नियम बनाकर राष्ट्रीय नियमों को दरकिनार करके 10 गुना अधिक फीस सूचना मांगने वालों से वसूली जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश वाणिज्य विभाग के अंतर्गत आने वाले उक्त विभाग रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं द्वारा आरटीआई के तहत आने वाले आवेदनों को 10 गुन अधिक यानी 20रू. एवं 40 रू प्रति काॅपी के हिसाब जानकारी देने के लिये, लिखकर बकायदा मांगे जाते हैं, आर टी आई कार्यकर्ताों ने एतराज करते हुये, कहा कि मप्र का उक्त विभाग पूरे देश नियमों से कैसे अलग हो सकता है।
पूरे देश में सूचना के अधिकार के तहत 2 रूपये प्रति पेज जानकारी के हिसाब से लिये जाने का नियम हैं, जबकि म.प्र. उक्त विभाग ने अपने मनमाने नियम थोपकर उन्हें जोड़तोड़ से प्रकाशित कर सूचना अधिकार को हतोत्साहित करने के लिये अलग नियम बना लिये हैं और आश्चर्य की बात यह है कि म.प्र. सरकार और केन्द्र सरकार को कई बार शिकायतें होने के बाद भी उक्त विभाग द्वारा 10 गुना वसूली जारी है।
इससे आरटीआई मांगने वाले लोगों में भारी असंतोष है, केन्द्रीय और राज्य सूचना आयोग आरटीआई कार्यकर्ताओं के राष्ट्रीय संगठन RTI ACTIVISTS FORUM ने मांग की है कि जनहित में 10 गुना अधिक पैसे लेने के नियम को तुरंत खत्म किया जाये और इस नियम को बनाने की कार्यवाही की जाये।
आरोप, प्रत्यारोप, शिकायतें एवं समाचार कृपया इस ईमेल timesofcrime@gmail.com पर भेजें। यदि आप अपना नाम गोपनीय रखना चाहते हैं तो कृपया स्पष्ट उल्लेख करें। आप हमें 9893221036 पर whatsapp भी कर सकते हैं। अपनी प्रतिक्रियाएं कृपया नीचे दर्ज करें।
आरटीआई एक्टिविस्ट्स फोरम इंडिया यूनिट मध्यप्रदेश में हर सम्भाग और जिला में इकाइयों का गठन किया जाना है। गैर राजनैतिक साथी आमन्त्रित हैं। प्लीज हमसे संपर्क कीजिये।
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
भोपाल। प्रदेश स्थित फर्म्स एवं संस्थाएं विभाग में सूचना के अधिकार के तहत अपने नियम बनाकर राष्ट्रीय नियमों को दरकिनार करके 10 गुना अधिक फीस सूचना मांगने वालों से वसूली जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश वाणिज्य विभाग के अंतर्गत आने वाले उक्त विभाग रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं द्वारा आरटीआई के तहत आने वाले आवेदनों को 10 गुन अधिक यानी 20रू. एवं 40 रू प्रति काॅपी के हिसाब जानकारी देने के लिये, लिखकर बकायदा मांगे जाते हैं, आर टी आई कार्यकर्ताों ने एतराज करते हुये, कहा कि मप्र का उक्त विभाग पूरे देश नियमों से कैसे अलग हो सकता है।
पूरे देश में सूचना के अधिकार के तहत 2 रूपये प्रति पेज जानकारी के हिसाब से लिये जाने का नियम हैं, जबकि म.प्र. उक्त विभाग ने अपने मनमाने नियम थोपकर उन्हें जोड़तोड़ से प्रकाशित कर सूचना अधिकार को हतोत्साहित करने के लिये अलग नियम बना लिये हैं और आश्चर्य की बात यह है कि म.प्र. सरकार और केन्द्र सरकार को कई बार शिकायतें होने के बाद भी उक्त विभाग द्वारा 10 गुना वसूली जारी है।
इससे आरटीआई मांगने वाले लोगों में भारी असंतोष है, केन्द्रीय और राज्य सूचना आयोग आरटीआई कार्यकर्ताओं के राष्ट्रीय संगठन RTI ACTIVISTS FORUM ने मांग की है कि जनहित में 10 गुना अधिक पैसे लेने के नियम को तुरंत खत्म किया जाये और इस नियम को बनाने की कार्यवाही की जाये।
आरोप, प्रत्यारोप, शिकायतें एवं समाचार कृपया इस ईमेल timesofcrime@gmail.com पर भेजें। यदि आप अपना नाम गोपनीय रखना चाहते हैं तो कृपया स्पष्ट उल्लेख करें। आप हमें 9893221036 पर whatsapp भी कर सकते हैं। अपनी प्रतिक्रियाएं कृपया नीचे दर्ज करें।
आरटीआई एक्टिविस्ट्स फोरम इंडिया यूनिट मध्यप्रदेश में हर सम्भाग और जिला में इकाइयों का गठन किया जाना है। गैर राजनैतिक साथी आमन्त्रित हैं। प्लीज हमसे संपर्क कीजिये।
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI प्रथम अपील कब और कैसे करें
प्रथम अपील कब और कैसे करें
*******************
प्रस्तुत - RTI rti
आपने सूचना पाने के लिए किसी सरकारी विभाग में आवेदन किया है, 30 दिन बीत जाने के बाद भी आपको सूचना नहीं मिली या मिली भी तो ग़लत और आधी-अधूरी अथवा भ्रामक। या फिर सूचना का अधिकार क़ानून की धारा 8 के प्रावधानों को तोड़-मरोड़ कर आपको सूचना देने से मना कर दिया गया। यह कहा गया कि फलां सूचना दिए जाने से किसी के विशेषाधिकार का हनन होता है या फलां सूचना तीसरे पक्ष से जुड़ी है इत्यादि। अब आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगे? ज़ाहिर है, चुपचाप तो बैठा नहीं जा सकता। इसलिए यह ज़रूरी है कि आप सूचना का अधिकार क़ानून के तहत ऐसे मामलों में प्रथम अपील करें।
जब आप आवेदन जमा करते हैं तो उसके 30 दिनों बाद, लेकिन 60 दिनों के अंदर लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी, जो सूचना क़ानून के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है, के यहां अपील करें। यदि आप द्वारा अपील करने के बाद भी कोई सूचना या संतोषजनक सूचना नहीं मिलती है या आपकी प्रथम अपील पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप दूसरी अपील कर सकते हैं। दूसरी अपील के लिए आपको राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में जाना होगा। फिलहाल इस अंक में हम स़िर्फ प्रथम अपील के बारे में ही बात कर रहे हैं। हम प्रथम अपील का एक प्रारूप भी प्रकाशित कर रहे हैं।
प्रथम अपील के लिए आमतौर पर कोई फीस निर्धारित नहीं है। हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां प्रथम अपील के लिए भी शुल्क निर्धारित कर रखा है। प्रथम अपील के लिए कोई निश्चित प्रारूप (फॉर्म) नहीं होता है। आप चाहें तो एक सादे काग़ज़ पर भी लिखकर प्रथम अपील तैयार कर सकते हैं। हालांकि इस मामले में भी कुछ राज्य सरकारों ने प्रथम अपील के लिए एक ख़ास प्रारूप तैयार कर रखा है। प्रथम अपील आप डाक द्वारा या व्यक्तिगत रूप से संबंधित कार्यालय में जाकर जमा करा सकते हैं।
प्रथम अपील के साथ आरटीआई आवेदन, लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना (यदि उपलब्ध कराई गई है तो) एवं आरटीआई आवेदन के साथ दिए गए शुल्क की रसीद आदि की फोटोकॉपी लगाना न भूलें। इस क़ानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि लोक सूचना अधिकारी आपके द्वारा मांगी गई सूचना 30 दिनों के भीतर उपलब्ध नहीं कराता है तो आप प्रथम अपील में सारी सूचनाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए भी कह सकते हैं। इस क़ानून में यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान है। भले ही सूचना हज़ार पन्नों की क्यों न हो। हम उम्मीद करते हैं कि आप इस अंक में प्रकाशित प्रथम अपील के प्रारूप का ज़रूर इस्तेमाल करेंगे और अन्य लोगों को भी इस संबंध में जागरूक करेंगे।
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प्रस्तुत - RTI rti
आपने सूचना पाने के लिए किसी सरकारी विभाग में आवेदन किया है, 30 दिन बीत जाने के बाद भी आपको सूचना नहीं मिली या मिली भी तो ग़लत और आधी-अधूरी अथवा भ्रामक। या फिर सूचना का अधिकार क़ानून की धारा 8 के प्रावधानों को तोड़-मरोड़ कर आपको सूचना देने से मना कर दिया गया। यह कहा गया कि फलां सूचना दिए जाने से किसी के विशेषाधिकार का हनन होता है या फलां सूचना तीसरे पक्ष से जुड़ी है इत्यादि। अब आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगे? ज़ाहिर है, चुपचाप तो बैठा नहीं जा सकता। इसलिए यह ज़रूरी है कि आप सूचना का अधिकार क़ानून के तहत ऐसे मामलों में प्रथम अपील करें।
जब आप आवेदन जमा करते हैं तो उसके 30 दिनों बाद, लेकिन 60 दिनों के अंदर लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी, जो सूचना क़ानून के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है, के यहां अपील करें। यदि आप द्वारा अपील करने के बाद भी कोई सूचना या संतोषजनक सूचना नहीं मिलती है या आपकी प्रथम अपील पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप दूसरी अपील कर सकते हैं। दूसरी अपील के लिए आपको राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में जाना होगा। फिलहाल इस अंक में हम स़िर्फ प्रथम अपील के बारे में ही बात कर रहे हैं। हम प्रथम अपील का एक प्रारूप भी प्रकाशित कर रहे हैं।
प्रथम अपील के लिए आमतौर पर कोई फीस निर्धारित नहीं है। हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां प्रथम अपील के लिए भी शुल्क निर्धारित कर रखा है। प्रथम अपील के लिए कोई निश्चित प्रारूप (फॉर्म) नहीं होता है। आप चाहें तो एक सादे काग़ज़ पर भी लिखकर प्रथम अपील तैयार कर सकते हैं। हालांकि इस मामले में भी कुछ राज्य सरकारों ने प्रथम अपील के लिए एक ख़ास प्रारूप तैयार कर रखा है। प्रथम अपील आप डाक द्वारा या व्यक्तिगत रूप से संबंधित कार्यालय में जाकर जमा करा सकते हैं।
प्रथम अपील के साथ आरटीआई आवेदन, लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना (यदि उपलब्ध कराई गई है तो) एवं आरटीआई आवेदन के साथ दिए गए शुल्क की रसीद आदि की फोटोकॉपी लगाना न भूलें। इस क़ानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि लोक सूचना अधिकारी आपके द्वारा मांगी गई सूचना 30 दिनों के भीतर उपलब्ध नहीं कराता है तो आप प्रथम अपील में सारी सूचनाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए भी कह सकते हैं। इस क़ानून में यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान है। भले ही सूचना हज़ार पन्नों की क्यों न हो। हम उम्मीद करते हैं कि आप इस अंक में प्रकाशित प्रथम अपील के प्रारूप का ज़रूर इस्तेमाल करेंगे और अन्य लोगों को भी इस संबंध में जागरूक करेंगे।
गुरुवार, 11 जून 2015
"देवेन्द्र चतुर्वेदी" सागर "सम्भाग अध्यक्ष" नियुक्त
"देवेन्द्र चतुर्वेदी" सागर "सम्भाग अध्यक्ष" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की सागर सम्भाग इकाई में पत्रकार, एवं आर टी आई कार्यकर्ता साथी "देवेन्द्र चतुर्वेदी" खुजराहो को " सागर सम्भाग का अध्यक्ष "नियुक्त" किया जाता हैं।
सम्पर्क मोबाइल- +919425146179
"देवेन्द्र चतुर्वेदी जी" को सागर "सम्भाग अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
समस्त सदस्य एवं पदाधिकारी गण
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत, शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
11/06/2015
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की सागर सम्भाग इकाई में पत्रकार, एवं आर टी आई कार्यकर्ता साथी "देवेन्द्र चतुर्वेदी" खुजराहो को " सागर सम्भाग का अध्यक्ष "नियुक्त" किया जाता हैं।
सम्पर्क मोबाइल- +919425146179
"देवेन्द्र चतुर्वेदी जी" को सागर "सम्भाग अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
समस्त सदस्य एवं पदाधिकारी गण
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत, शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
11/06/2015
मंगलवार, 2 जून 2015
27 मई से बी डी ए भोपाल के "सूचना के अधिकार" का कार्य भगवान भरोसे
27 मई से बी डी ए भोपाल के "सूचना के अधिकार" का कार्य भगवान भरोसे
Toc News @ bhopal
भोपाल . "सूचना के अधिकार" के विभाग के सूचना अधिकारी के निलंबित होने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण में सूचना के अधिकार का काम भगवान भरोसे चल रहा है. सूचना के तहत जानकारी चाहने वाले लगातार चक्कर लगा रहे है. जिस पर सूनने वाला कोई नही.
ज्ञात हो की मोदी का एक प्ररकरण में 21 मई को निलंवित कर दिये गये जिसके बाद 26 को मुकुल गुप्ता को सूचना अधिकारी का प्रभार सौपा गया दो दिन कार्य करने के बाद वो भी अवकाश में निकल लिये.
इसके बाद आर के खरे को प्रभार दिया गया उनकी रूचि नही होने के कारण उनका आदेश निरस्त कर श्रीमति लता अग्रवाल को नियमित कार्य करने को आदेशित किया परन्तु उन्होने भी अवकाश का रास्ता पकड लिया. आज खबर लिखे जाने तक सूचना विभाग का कार्य भगवान भरोसे चल रहा है. बीडीए का सत्यानाश करने वाले प्रभारियों की वजह से सरकारी योजनाओं का बन्टाधार हो रहा है.
Toc News @ bhopal
भोपाल . "सूचना के अधिकार" के विभाग के सूचना अधिकारी के निलंबित होने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण में सूचना के अधिकार का काम भगवान भरोसे चल रहा है. सूचना के तहत जानकारी चाहने वाले लगातार चक्कर लगा रहे है. जिस पर सूनने वाला कोई नही.
ज्ञात हो की मोदी का एक प्ररकरण में 21 मई को निलंवित कर दिये गये जिसके बाद 26 को मुकुल गुप्ता को सूचना अधिकारी का प्रभार सौपा गया दो दिन कार्य करने के बाद वो भी अवकाश में निकल लिये.
इसके बाद आर के खरे को प्रभार दिया गया उनकी रूचि नही होने के कारण उनका आदेश निरस्त कर श्रीमति लता अग्रवाल को नियमित कार्य करने को आदेशित किया परन्तु उन्होने भी अवकाश का रास्ता पकड लिया. आज खबर लिखे जाने तक सूचना विभाग का कार्य भगवान भरोसे चल रहा है. बीडीए का सत्यानाश करने वाले प्रभारियों की वजह से सरकारी योजनाओं का बन्टाधार हो रहा है.
सोमवार, 1 जून 2015
मध्यप्रदेश, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 / प्रारूप
सूचना का अधिकार अधिनियम
सूचना का अधिकार क्या है- सूचना के अधिकार के तहत भारत का कोई भी नागरिक, किसी भी लोक प्राधिकारी अथवा उसके नियंत्रणाधीन, किन्ही भी दस्तावेजों#अभिलेखों का निरीक्षण कर सकता है, इन अभिलेखों#दस्तावेजों की प्रामाणिक प्रति प्राप्त कर सकता है, जहां सूचना किसी कम्प्यूटर या अन्य युक्ति में भंडारित है, तो ऐसी सूचना को फ्लापी#डिस्केट#टेप या वीडियो कैसेट के रूप में प्राप्त कर सकता है। साथ ही इस अधिकार के तहत सामग्री के प्रामाणिक नमूने लेने का भी प्रावधान है।
सूचना किससे मांगी जा सकती है- इस अधिनियम के तहत किसी भी शासकीय कार्यालय से जानकारी मांगी जा सकती है। इसके साथ ही स्वायत्त शासन या निकाय या संस्था, जो संविधान के द्वारा या संसद द्वारा बनाये गये विधि द्वारा या राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाये गये विधि से या सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किये गये आदेश द्वारा स्थापित या गठित है, से भी जानकारी मांगी जा सकती है। ऐसे अशासकीय संगठन, जिनके वार्षिक 'टर्नओवर' का पचास प्रतिशत या रुपये पचास हजार, जो भी कम हो, शासन या उसकी किसी संस्था से अनुदान के रूप में या अन्यथा वित्तीय रूप से पोषित होने पर ऐसी संस्थाओं से भी सूचना मांगी जा सकती है।
सूचना प्राप्त करने हेतु निर्धारित शुल्क- इस अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने हेतु राज्य शासन द्वारा सूचना का अधिकार (फीस एवं अपील) नियम, 2005 बनाये गये हैं, जो कि दिनांक 10 नवंबर, 2005 के राजपत्र में भी प्रकाशित हैं। सूचना प्राप्त करने हेतु निर्धारित शुल्क निम्नानुसार है :-
1. आवेदन शुल्क- रुपये 10/-
2.प्रथम अपील शुल्क- रुपये 50/-
3. द्वितीय अपील शुल्क- रुपये 100/-
4. प्रमाणित प्रति शुल्क-
रुपये 2/- प्रति पृष्ठ
(ए-3, ए-4 साइज पेपर हेतु)
5. निरीक्षण शुल्क-
प्रथम घंटा अथवा उससे कम समय के लिए रुपये 50#-, तथा उसके पश्चात रुपये 25/- प्रत्येक 15 मिनिट अथवा उसके भाग के लिए।
6. फ्लापी या डिस्केट में जानकारी हेतु शुल्क
रुपये 50/- प्रति फ्लापी#डिस्केट
7. सत्यापित नमूना हेतु शुल्क
जैसा कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाए।
उपरोक्तानुसार निर्धारित शुल्क नगद अथवा नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प के रूप में जमा किया जा सकता है।
गरीबी रेखा के नीचे के व्यक्ति के लिए विशेष प्रावधान- गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्ति को सत्यापित नमूने (उपरोक्त अनुक्रमांक-7 पर उल्लेखित) के शुल्क को छोड़कर अन्य सभी शुल्कों (अनुक्रमांक 1 से 6 तक उल्लेखित) से छूट प्राप्त है। इस प्रकार गरीबी रेखा से नीचे का व्यक्ति सत्यापित नमूने को छोड़कर अन्य सभी जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकता है एवं उसे आवेदन तथा अपील शुल्क से भी छूट प्राप्त है।
सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया-
राज्य शासन के प्रत्येक विभाग द्वारा उनके अधीनस्थ कार्यालयों में सहायक लोक सूचना अधिकारी#लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय प्राधिकारी नामांकित किये है। जानकारी प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को, जिस कार्यालय से संबंधित जानकारी प्राप्त करना हो, उस कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी को मांगी गई सूचना का स्पष्ट उल्लेख करते हुये आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में संपर्क पता स्पष्ट रूप से अंकित किया जाना चाहिये। आवेदन पत्र के साथ निर्धारित शुल्क, नॉन ज्युडिशियल स्टाम्प के रूप में अथवा संबंधित कार्यालय में नगद रूप से जमा किया जा सकता है यदि आवेदक अभिलेखों का निरीक्षण करना चाहता है अथवा प्रमाणित नमूना चाहता है तो इस संबंध में स्पष्ट उल्लेख आवेदन में किया जायेगा। लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्त होने पर सूचना की लागत के संबंध मेें आवेदक को सूचित किया जायेगा।
आवेदक द्वारा सूचना की लागत नगद रूप से संबंधित कार्यालय में अथवा नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प के रूप में जमा किये जाने पर आवेदक को लोक सूचना अधिकारी द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई जायेगी। लोक सूचना अधिकारी द्वारा 30 दिन के अंदर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराना है, परन्तु राशि जमा करने की सूचना भेजने एवं आवेदक द्वारा राशि जमा करने की तिथि के बीच की अवधि उक्त गणना में शामिल है।
जानकारी उपलब्ध न कराने पर दंड-
यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन लेने से इंकार किया जाता है, समय सीमा के अंदर सूचना नहीं दी जाती है या असद्भावना पूर्वक सूचना देने से इंकार किया जाता है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक जानकारी दी जाती है या सूचना को नष्ट किया जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी को दंडित किया जा सकता है। यह दंड 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से कुल 25000 रुपये तक का हो सकता है। इसके साथ ही सूचना आयोग, लोक सूचना अधिकारी के उपरोक्त कृत्यों के लिये सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिये राज्य सरकार को सिफारिश भी कर सकता है।
नोट :- सूचना का अधिकार अधिनियम, 05 अंतर्गत जारी अधिसूचना#परिपत्र तथा अन्य जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट www.mp.nic.in/gad पर 'Right to Information' लिंक पर उपलब्ध है।
सूचना का अधिकार अधिनियम-2005
(सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा (6)
(1) के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने हेतु
आवेदन पत्र का प्रारूप)
1. आवेदक का नाम.....................................................................................................
2. पूरा पता#ई-मेल#फैक्स जिस पर जानकारी प्रेषित की जाना है।....................................
3. दूरभाष क्रमांक..........................................................................
4. आवेदन देने का दिनांक...........................................................
5. कार्यालय का नाम.....................................................................
6. चाही गई जानकारी का विवरण.................................................
7. क्या चाहते है नकल#निरीक्षण#रिकार्ड निरीक्षण#रिकार्ड की प्रमाणित प्रति#प्रमाणित नमूना
8. आवेदक के साथ अदा किये जाने वाले प्रोसेस फी-रुपये 10 नगद#स्टॉम्प (वीपीएल सूची के सदस्य को देय नहीं) रसीद क्र...........................एवं दिनांक................................
9. क्या आवेदक गरीबी की रेखा के नीचे है अथवा नहीं- हां#नहीं यदि हां तो वी.पी.एल. सूची का अनुक्रमांक।
हस्ताक्षर
(आवेदनकर्ता)
टीप :- यदि आवेदक द्वारा डाक से आवेदन प्रेषित किया जाता है तो आवेदन पत्र पर रुपये 10 का नॉन ज्यूडीशियल स्टाम्प चस्पा करते हुए स्वयं का पता अंकित करते हुए आवश्यक राशि का डाक टिकिट लगा लिफाफा संलग्न प्रेषित करें।
पावती
1. आवेदन प्राप्त होने का दिनांक..................................................................
2. आवेदनकर्ता को वांछित जानकारी प्राप्त करने के संबंध में अग्रिम कार्यवाही हेतु उपस्थित होने का दिनांक
3. संबंधित शाखा#अधिकारी जहां से जानकारी उपलब्ध होगी........... (लोक सूचना अधिकारी#सहायक लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्राधिकृत)
प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर
पदनाम (रबर सील)
सूचना का अधिकार क्या है- सूचना के अधिकार के तहत भारत का कोई भी नागरिक, किसी भी लोक प्राधिकारी अथवा उसके नियंत्रणाधीन, किन्ही भी दस्तावेजों#अभिलेखों का निरीक्षण कर सकता है, इन अभिलेखों#दस्तावेजों की प्रामाणिक प्रति प्राप्त कर सकता है, जहां सूचना किसी कम्प्यूटर या अन्य युक्ति में भंडारित है, तो ऐसी सूचना को फ्लापी#डिस्केट#टेप या वीडियो कैसेट के रूप में प्राप्त कर सकता है। साथ ही इस अधिकार के तहत सामग्री के प्रामाणिक नमूने लेने का भी प्रावधान है।
सूचना किससे मांगी जा सकती है- इस अधिनियम के तहत किसी भी शासकीय कार्यालय से जानकारी मांगी जा सकती है। इसके साथ ही स्वायत्त शासन या निकाय या संस्था, जो संविधान के द्वारा या संसद द्वारा बनाये गये विधि द्वारा या राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाये गये विधि से या सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किये गये आदेश द्वारा स्थापित या गठित है, से भी जानकारी मांगी जा सकती है। ऐसे अशासकीय संगठन, जिनके वार्षिक 'टर्नओवर' का पचास प्रतिशत या रुपये पचास हजार, जो भी कम हो, शासन या उसकी किसी संस्था से अनुदान के रूप में या अन्यथा वित्तीय रूप से पोषित होने पर ऐसी संस्थाओं से भी सूचना मांगी जा सकती है।
सूचना प्राप्त करने हेतु निर्धारित शुल्क- इस अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने हेतु राज्य शासन द्वारा सूचना का अधिकार (फीस एवं अपील) नियम, 2005 बनाये गये हैं, जो कि दिनांक 10 नवंबर, 2005 के राजपत्र में भी प्रकाशित हैं। सूचना प्राप्त करने हेतु निर्धारित शुल्क निम्नानुसार है :-
1. आवेदन शुल्क- रुपये 10/-
2.प्रथम अपील शुल्क- रुपये 50/-
3. द्वितीय अपील शुल्क- रुपये 100/-
4. प्रमाणित प्रति शुल्क-
रुपये 2/- प्रति पृष्ठ
(ए-3, ए-4 साइज पेपर हेतु)
5. निरीक्षण शुल्क-
प्रथम घंटा अथवा उससे कम समय के लिए रुपये 50#-, तथा उसके पश्चात रुपये 25/- प्रत्येक 15 मिनिट अथवा उसके भाग के लिए।
6. फ्लापी या डिस्केट में जानकारी हेतु शुल्क
रुपये 50/- प्रति फ्लापी#डिस्केट
7. सत्यापित नमूना हेतु शुल्क
जैसा कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाए।
उपरोक्तानुसार निर्धारित शुल्क नगद अथवा नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प के रूप में जमा किया जा सकता है।
गरीबी रेखा के नीचे के व्यक्ति के लिए विशेष प्रावधान- गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्ति को सत्यापित नमूने (उपरोक्त अनुक्रमांक-7 पर उल्लेखित) के शुल्क को छोड़कर अन्य सभी शुल्कों (अनुक्रमांक 1 से 6 तक उल्लेखित) से छूट प्राप्त है। इस प्रकार गरीबी रेखा से नीचे का व्यक्ति सत्यापित नमूने को छोड़कर अन्य सभी जानकारी नि:शुल्क प्राप्त कर सकता है एवं उसे आवेदन तथा अपील शुल्क से भी छूट प्राप्त है।
सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया-
राज्य शासन के प्रत्येक विभाग द्वारा उनके अधीनस्थ कार्यालयों में सहायक लोक सूचना अधिकारी#लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय प्राधिकारी नामांकित किये है। जानकारी प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को, जिस कार्यालय से संबंधित जानकारी प्राप्त करना हो, उस कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी को मांगी गई सूचना का स्पष्ट उल्लेख करते हुये आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में संपर्क पता स्पष्ट रूप से अंकित किया जाना चाहिये। आवेदन पत्र के साथ निर्धारित शुल्क, नॉन ज्युडिशियल स्टाम्प के रूप में अथवा संबंधित कार्यालय में नगद रूप से जमा किया जा सकता है यदि आवेदक अभिलेखों का निरीक्षण करना चाहता है अथवा प्रमाणित नमूना चाहता है तो इस संबंध में स्पष्ट उल्लेख आवेदन में किया जायेगा। लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्त होने पर सूचना की लागत के संबंध मेें आवेदक को सूचित किया जायेगा।
आवेदक द्वारा सूचना की लागत नगद रूप से संबंधित कार्यालय में अथवा नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प के रूप में जमा किये जाने पर आवेदक को लोक सूचना अधिकारी द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई जायेगी। लोक सूचना अधिकारी द्वारा 30 दिन के अंदर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराना है, परन्तु राशि जमा करने की सूचना भेजने एवं आवेदक द्वारा राशि जमा करने की तिथि के बीच की अवधि उक्त गणना में शामिल है।
जानकारी उपलब्ध न कराने पर दंड-
यदि लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन लेने से इंकार किया जाता है, समय सीमा के अंदर सूचना नहीं दी जाती है या असद्भावना पूर्वक सूचना देने से इंकार किया जाता है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक जानकारी दी जाती है या सूचना को नष्ट किया जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी को दंडित किया जा सकता है। यह दंड 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से कुल 25000 रुपये तक का हो सकता है। इसके साथ ही सूचना आयोग, लोक सूचना अधिकारी के उपरोक्त कृत्यों के लिये सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिये राज्य सरकार को सिफारिश भी कर सकता है।
नोट :- सूचना का अधिकार अधिनियम, 05 अंतर्गत जारी अधिसूचना#परिपत्र तथा अन्य जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट www.mp.nic.in/gad पर 'Right to Information' लिंक पर उपलब्ध है।
सूचना का अधिकार अधिनियम-2005
(सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा (6)
(1) के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने हेतु
आवेदन पत्र का प्रारूप)
1. आवेदक का नाम.....................................................................................................
2. पूरा पता#ई-मेल#फैक्स जिस पर जानकारी प्रेषित की जाना है।....................................
3. दूरभाष क्रमांक..........................................................................
4. आवेदन देने का दिनांक...........................................................
5. कार्यालय का नाम.....................................................................
6. चाही गई जानकारी का विवरण.................................................
7. क्या चाहते है नकल#निरीक्षण#रिकार्ड निरीक्षण#रिकार्ड की प्रमाणित प्रति#प्रमाणित नमूना
8. आवेदक के साथ अदा किये जाने वाले प्रोसेस फी-रुपये 10 नगद#स्टॉम्प (वीपीएल सूची के सदस्य को देय नहीं) रसीद क्र...........................एवं दिनांक................................
9. क्या आवेदक गरीबी की रेखा के नीचे है अथवा नहीं- हां#नहीं यदि हां तो वी.पी.एल. सूची का अनुक्रमांक।
हस्ताक्षर
(आवेदनकर्ता)
टीप :- यदि आवेदक द्वारा डाक से आवेदन प्रेषित किया जाता है तो आवेदन पत्र पर रुपये 10 का नॉन ज्यूडीशियल स्टाम्प चस्पा करते हुए स्वयं का पता अंकित करते हुए आवश्यक राशि का डाक टिकिट लगा लिफाफा संलग्न प्रेषित करें।
पावती
1. आवेदन प्राप्त होने का दिनांक..................................................................
2. आवेदनकर्ता को वांछित जानकारी प्राप्त करने के संबंध में अग्रिम कार्यवाही हेतु उपस्थित होने का दिनांक
3. संबंधित शाखा#अधिकारी जहां से जानकारी उपलब्ध होगी........... (लोक सूचना अधिकारी#सहायक लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्राधिकृत)
प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर
पदनाम (रबर सील)
पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र जारी होगें
आप सभी पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र सहित परिचयपत्र भी जारी होगें, वेब पोर्टल में भी सभी जानकारी, सूची मिलेगी.
सभी साथियों से पुन: निवेदन है कि वे आपना सम्पूर्ण वायोडाटा दोंनों ईमेल पर स्मार्ट फोटो के साथ भेज देवें.
timesofcrime@gmail.com, chishtimahmood786@gmail.com
आरटीआई एक्टिविस्ट्स फोरम इंडिया यूनिट मध्यप्रदेश में हर सम्भाग और जिला में इकाइयों का गठन किया जाना है। गैर राजनैतिक साथी आमन्त्रित हैं। प्लीज हमें संपर्क कीजिये।
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
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क्या है सूचना का अधिकार
क्या है सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ. यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है. जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है. सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है. यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है. इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है. यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है.
किससे और क्या सूचना मांग सकते हैं
सभी इकाइयों/विभागों, जो संविधान या अन्य कानूनों या किसी सरकारी अधिसूचना के अधीन बने हैं अथवा सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित किए जाते हों, वहां से संबंधित सूचना मांगी जा सकती है.
सरकार से कोई भी सूचना मांग सकते हैं.
सरकारी निर्णय की प्रति ले सकते हैं.
सरकारी दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकते हैं.
सरकारी कार्य का निरीक्षण कर सकते हैं.
सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले सकते हैं
किससे मिलेगी सूचना और कितना आवेदन शुल्क
इस कानून के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग में जन/लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के पद का प्रावधान है. आरटीआई आवेदन इनके पास जमा करना होता है. आवेदन के साथ केंद्र सरकार के विभागों के लिए 10 रुपये का आवेदन शुल्क देना पड़ता है. हालांकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग शुल्क निर्धारित हैं. सूचना पाने के लिए 2 रुपये प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देने पड़ते हैं. यह शुल्क विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग है. आवेदन शुल्क नकद, डीडी, बैंकर चेक या पोस्टल आर्डर के माध्यम से जमा किया जा सकता है. कुछ राज्यों में आप कोर्ट फीस टिकटें खरीद सकते हैं और अपनी अर्ज़ी पर चिपका सकते हैं. ऐसा करने पर आपका शुल्क जमा माना जाएगा. आप तब अपनी अर्ज़ी स्वयं या डाक से जमा करा सकते हैं.
आवेदन का प्रारूप क्या हो
केंद्र सरकार के विभागों के लिए कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है. आप एक सादे कागज़ पर एक सामान्य अर्ज़ी की तरह ही आवेदन बना सकते हैं और इसे पीआईओ के पास स्वयं या डाक द्वारा जमा कर सकते हैं. (अपने आवेदन की एक प्रति अपने पास निजी संदर्भ के लिए अवश्य रखें)
सूचना प्राप्ति की समय सीमा
पीआईओ को आवेदन देने के 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आवेदन सहायक पीआईओ को दिया गया है तो सूचना 35 दिनों के भीतर मिल जानी चाहिए.
सूचना न मिलने पर क्या करे
यदि सूचना न मिले या प्राप्त सूचना से आप संतुष्ट न हों तो अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है. हर विभाग में प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है. सूचना प्राप्ति के 30 दिनों और आरटीआई अर्जी दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर आप प्रथम अपील दायर कर सकते हैं.
द्वितीय अपील क्या है?
द्वितीय अपील आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का अंतिम विकल्प है. द्वितीय अपील सूचना आयोग के पास दायर की जा सकती है. केंद्र सरकार के विभागों के विरुद्ध केंद्रीय सूचना आयोग है और राज्य सरकार के विभागों के विरुद्ध राज्य सूचना आयोग. प्रथम अपील के निष्पादन के 90 दिनों के भीतर या उस तारीख के 90 दिनों के भीतर कि जब तक प्रथम अपील निष्पादित होनी थी, द्वितीय अपील दायर की जा सकती है. अगर राज्य सूचना आयोग में जाने पर भी सूचना नहीं मिले तो एक और स्मरणपत्र राज्य सूचना आयोग में भेज सकते हैं. यदि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जा सकते हैं.
सवाल पूछो, ज़िंदगी बदलो
सूचना कौन देगा
प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (पीआईओ - PIO ) का पद होता है. आपको अपनी अर्जी उसके पास दाख़िल करनी होगी. यह उसका उत्तरदायित्व है कि वह उस विभाग के विभिन्न भागों से आप द्वारा मांगी गई जानकारी इकट्ठा करे और आपको प्रदान करे. इसके अलावा कई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाता है. उनका कार्य जनता से आरटीआई आवेदन लेना और पीआईओ के पास भेजना है.
आरटीआई आवेदन कहां जमा करें
आप अपनी अर्जी-आवेदन पीआईओ या एपीआईओ के पास जमा कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. मतलब यह कि आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई काउंटर पर अपना आरटीआई आवेदन और शुल्क जमा करा सकते हैं. वहां आपको एक रसीद भी मिलेगी. यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वह उसे संबंधित पीआईओ के पास भेजे.
यदि पीआईओ या संबंधित विभाग आरटीआई आवेदन स्वीकार न करने पर
ऐसी स्थिति में आप अपना आवेदन डाक द्वारा भेज सकते हैं. इसकी औपचारिक शिक़ायत संबंधित सूचना आयोग को भी अनुच्छेद 18 के तहत करें. सूचना आयुक्त को उस अधिकारी पर 25,000 रुपये का अर्थदंड लगाने का अधिकार है, जिसने आवेदन लेने से मना किया था.
पीआईओ या एपीआईओ का पता न चलने पर
यदि पीआईओ या एपीआईओ का पता लगाने में कठिनाई होती है तो आप आवेदन विभागाध्यक्ष को भेज सकते हैं. विभागाध्यक्ष को वह अर्जी संबंधित पीआईओ के पास भेजनी होगी.
अगर पीआईओ आवेदन न लें
पीआईओ आरटीआई आवेदन लेने से किसी भी परिस्थिति में मना नहीं कर सकता. भले ही वह सूचना उसके विभाग/कार्यक्षेत्र में न आती हो. उसे अर्जी स्वीकार करनी होगी. यदि आवेदन-अर्जी उस पीआईओ से संबंधित न हो तो वह उसे उपायुक्त पीआईओ के पास पांच दिनों के भीतर अनुच्छेद 6(3) के तहत भेज सकता है.
क्या सरकारी दस्तावेज़ गोपनीयता क़ानून 1923 सूचना के अधिकार में बाधा है नहीं. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुच्छेद 22 के अनुसार सूचना का अधिकार क़ानून सभी मौजूदा क़ानूनों का स्थान ले लेगा.
अगर पीआईओ सूचना न दें
एक पीआईओ सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद आठ में दिए गए हैं. इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचना, विधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं आदि. सूचना का अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गई है, जिन पर यह लागू नहीं होता. हालांकि उन्हें भी वे सूचनाएं देनी होंगी, जो भ्रष्टाचार के आरोपों और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी हों.
कहां कितना आरटीआई शुल्क
प्रथम अपील/द्वितीय अपील की कोई फीस नहीं है. हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने फीस का प्रावधान किया है. विभिन्न राज्यों में सूचना शुल्क/अपील शुल्क का प्रारूप अलग-अलग है.कहीं आवेदन के लिए शुल्क 10 रुपये है तो कहीं 50 रुपये. इसी तरह दस्तावेजों की फोटोकॉपी के लिए कहीं 2 रुपये तो कहीं 5 रुपये लिए जाते हैं.
क्या फाइल नोटिंग मिलता है
फाइलों की टिप्पणियां (फाइल नोटिंग) सरकारी फाइल का अभिन्न हिस्सा हैं और इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक की जा सकती हैं. केंद्रीय सूचना आयोग ने 31 जनवरी 2006 के अपने एक आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है.
सूचना क्यों चाहिए, क्या उसका कारण बताना होगा
बिल्कुल नहीं. कोई कारण या अन्य सूचना केवल संपर्क विवरण (नाम, पता, फोन नंबर) के अतिरिक्त देने की ज़रूरत नहीं है. सूचना क़ानून स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से संपर्क विवरण के अतिरिक्त कुछ नहीं पूछा जाएगा.
कैसे करे सूचना के लिए आवदेन एक उदाहरण से समझे
यह क़ानून कैसे मेरे कार्य पूरे होने में मेरी सहायता करता है? कोई अधिकारी क्यों अब तक आपके रुके काम को, जो वह पहले नहीं कर रहा था, करने के लिए मजबूर होता है और कैसे यह क़ानून आपके काम को आसानी से पूरा करवाता है इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं.
एक आवेदक ने राशन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन किया. उसे राशन कार्ड नहीं दिया जा रहा था. लेकिन जब उसने आरटीआई के तहत आवेदन दिया. आवेदन डालते ही, उसे एक सप्ताह के भीतर राशन कार्ड दे दिया गया. आवेदक ने निम्न सवाल पूछे थे:
1. मैंने एक डुप्लीकेट राशन कार्ड के लिए 10 नवंबर 2009 को अर्जी दी थी. कृपया मुझे मेरी अर्जी पर हुई दैनिक प्रगति रिपोर्ट बताएं अर्थात मेरी अर्जी किस अधिकारी के पास कब पहुंची, उस अधिकारी के पास यह कितने समय रही और उसने उतने समय तक मेरी अर्जी पर क्या कार्रवाई की?
2. नियमों के अनुसार, मेरा कार्ड कितने दिनों के भीतर बन जाना चाहिए था. अब तीन माह से अधिक का समय हो गया है. कृपया उन अधिकारियों के नाम व पद बताएं जिनसे आशा की जाती है कि वे मेरी अर्जी पर कार्रवाई करते व जिन्होंने ऐसा नहीं किया?
3. इन अधिकारियों के विरुद्ध अपना कार्य न करने व जनता के शोषण के लिए क्या कार्रवाई की जाएगी? वह कार्रवाई कब तक की जाएगी?
4. अब मुझे कब तक अपना कार्ड मिल जाएगा?
आमतौर पर पहले ऐसे आवेदन कूड़ेदान में फेंक दिए जाते थे. लेकिन सूचना क़ानून के तहत दिए गए आवेदन के संबंध में यह क़ानून कहता है कि सरकार को 30 दिनों में जवाब देना होगा. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, उनके वेतन में कटौती की जा सकती है. ज़ाहिर है, ऐसे प्रश्नों का उत्तर देना अधिकारियों के लिए आसान नहीं होगा.
पहला प्रश्न है : कृपया मुझे मेरी अर्जी पर हुई दैनिक उन्नति बताएं.
कोई उन्नति हुई ही नहीं है. लेकिन सरकारी अधिकारी यह इन शब्दों में लिख ही नहीं सकते कि उन्होंने कई महीनों से कोई कार्रवाई नहीं की है. वरन यह काग़ज़ पर ग़लती स्वीकारने जैसा होगा.
अगला प्रश्न है : कृपया उन अधिकारियों के नाम व पद बताएं जिनसे आशा की जाती है कि वे मेरी अर्जी पर कार्रवाई करते व जिन्होंने ऐसा नहीं किया.
यदि सरकार उन अधिकारियों के नाम व पद बताती है, तो उनका उत्तरदायित्व निर्धारित हो जाता है. एक अधिकारी अपने विरुद्ध इस प्रकार कोई उत्तरदायित्व निर्धारित होने के प्रति का़फी सतर्क होता है. इस प्रकार, जब कोई इस तरह अपनी अर्जी देता है, उसका रुका कार्य संपन्न हो जाता है.
घूस को मारिए घूंसा
कैसे यह क़ानून आम आदमी की रोज़मर्रा की समस्याओं (सरकारी दफ़्तरों से संबंधित) का समाधान निकाल सकता है. वो भी, बिना रिश्वत दिए. बिना जी-हुजूरी किए. आपको बस अपनी समस्याओं के बारे में संबंधित विभाग से सवाल पूछना है. जैसे ही आपका सवाल संबंधित विभाग तक पहुंचेगा वैसे ही संबंधित अधिकारी पर क़ानूनी तौर पर यह ज़िम्मेवारी आ जाएगी कि वो आपके सवालों का जवाब दे. ज़ाहिर है, अगर उस अधिकारी ने बेवजह आपके काम को लटकाया है तो वह आपके सवालों का जवाब भला कैसे देगा.
आप अपना आरटीआई आवेदन (जिसमें आपकी समस्या से जुड़े सवाल होंगे) संबंधित सरकारी विभाग के लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के पास स्वयं जा कर या डाक के द्वारा जमा करा सकते हैं. आरटीआई क़ानून के मुताबिक़ प्रत्येक सरकारी विभाग में एक लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त करना आवश्यक है. यह ज़रूरी नहीं है कि आपको उस पीआईओ का नाम मालूम हो. यदि आप प्रखंड स्तर के किसी समस्या के बारे में सवाल पूछना चाहते है तो आप क्षेत्र के बीडीओ से संपर्क कर सकते हैं. केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के पते जानने के लिए आप इंटरनेट की भी मदद ले सकते है. और, हां एक बच्चा भी आरटीआई क़ानून के तहत आरटीआई आवेदन दाख़िल कर सकता है.
सूचना ना देने पर अधिकारी को सजा
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कोई क़ानून किसी अधिकारी की अकर्मण्यता/लापरवाही के प्रति जवाबदेही तय करता है और इस क़ानून में आर्थिक दंड का भी प्रावधान है. यदि संबंधित अधिकारी समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराता है तो उस पर 250 रु. प्रतिदिन के हिसाब से सूचना आयुक्त द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि दी गई सूचना ग़लत है तो अधिकतम 25000 रु. तक का भी जुर्माना लगाया जा सकता है. जुर्माना आपके आवेदन को ग़लत कारणों से नकारने या ग़लत सूचना देने पर भी लगाया जा सकता है. यह जुर्माना उस अधिकारी के निजी वेतन से काटा जाता है.
सवाल : क्या पीआईओ पर लगे जुर्माने की राशि आवेदक को दी जाती है?
जवाब : नहीं, जुर्माने की राशि सरकारी खजाने में जमा हो जाती है. हालांकि अनुच्छेद 19 के तहत, आवेदक मुआवज़ा मांग सकता है.
आरटीआई के इस्तेमाल में समझदारी दिखाएं
कई बार आरटीआई के इस्तेमाल के बाद आवेदक को परेशान किया किया जाता है या झूठे मुक़दमे में फंसाकर उनका मानसिक और आर्थिक शोषण किया किया जाता है . यह एक गंभीर मामला है और आरटीआई क़ानून के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद से ही इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं. आवेदकों को धमकियां दी गईं, जेल भेजा गया. यहां तक कि कई आरटीआई कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमले भी हुए. झारखंड के ललित मेहता, पुणे के सतीश शेट्टी जैसे समर्पित आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या तक कर दी गई.
इन सब बातों से घबराने की ज़रूरत नहीं है. हमें इस क़ानून का इस्तेमाल इस तरह करना होगा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. मतलब अति उत्साह के बजाय थोड़ी समझदारी दिखानी होगी. ख़ासकर ऐसे मामलों में जो जनहित से जुड़े हों और जिस सूचना के सार्वजनिक होने से ताक़तवर लोगों का पर्दाफाश होना तय हो, क्योंकि सफेदपोश ताक़तवर लोग ख़ुद को सुरक्षित बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वे साम, दाम, दंड और भेद कोई भी नीति अपना सकते हैं. यहीं पर एक आरटीआई आवेदक को ज़्यादा सतर्कता और समझदारी दिखाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपको एक ऐसे मामले की जानकारी है, जिसका सार्वजनिक होना ज़रूरी है, लेकिन इससे आपकी जान को ख़तरा हो सकता है. ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे? हमारी समझ और सलाह के मुताबिक़, आपको ख़ुद आरटीआई आवेदन देने के बजाय किसी और से आवेदन दिलवाना चाहिए. ख़ासकर उस ज़िले से बाहर के किसी व्यक्ति की ओर से. आप यह कोशिश भी कर सकते हैं कि अगर आपके कोई मित्र राज्य से बाहर रहते हों तो आप उनसे भी उस मामले पर आरटीआई आवेदन डलवा सकते हैं. इससे होगा यह कि जो लोग आपको धमका सकते हैं, वे एक साथ कई लोगों या अन्य राज्य में रहने वाले आवेदक को नहीं धमका पाएंगे. आप चाहें तो यह भी कर सकते हैं कि एक मामले में सैकड़ों लोगों से आवेदन डलवा दें. इससे दबाव काफी बढ़ जाएगा. यदि आपका स्वयं का कोई मामला हो तो भी कोशिश करें कि एक से ज़्यादा लोग आपके मामले में आरटीआई आवेदन डालें. साथ ही आप अपने क्षेत्र में काम कर रही किसी ग़ैर सरकारी संस्था की भी मदद ले सकते हैं.
सवाल - जवाब
क्या फाइल नोटिंग का सार्वजनिक होना अधिकारियों को ईमानदार सलाह देने से रोकेगा?
नहीं, यह आशंका ग़लत है. इसके उलट, हर अधिकारी को अब यह पता होगा कि जो कुछ भी वह लिखता है वह जन- समीक्षा का विषय हो सकता है. यह उस पर उत्तम जनहित में लिखने का दबाव बनाएगा. कुछ ईमानदार नौकरशाहों ने अलग से स्वीकार किया है कि आरटीआई उनके राजनीतिक व अन्य प्रभावों को दरकिनार करने में बहुत प्रभावी रहा है. अब अधिकारी सीधे तौर स्वीकार करते हैं कि यदि उन्होंने कुछ ग़लत किया तो उनका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए, अधिकारियों ने इस बात पर जोर देना शुरू कर दिया है कि वरिष्ठ अधिकारी भी उन्हें लिखित में निर्देश दें.
क्या बहुत लंबी-चौड़ी सूचना मांगने वाले आवेदन को ख़ारिज किया जाना चाहिए?
यदि कोई आवेदक ऐसी जानकारी चाहता है जो एक लाख पृष्ठों की हो तो वह ऐसा तभी करेगा जब सचमुच उसे इसकी ज़रूरत होगी क्योंकि उसके लिए दो लाख रुपयों का भुगतान करना होगा. यह अपने आप में ही हतोत्साहित करने वाला उपाय है. यदि अर्ज़ी इस आधार पर रद्द कर दी गयी, तो प्रार्थी इसे तोड़कर प्रत्येक अर्ज़ी में 100 पृष्ठ मांगते हुए 1000 अर्जियां बना लेगा, जिससे किसी का भी लाभ नहीं होगा. इसलिए, इस कारण अर्जियां रद्द नहीं होनी चाहिए कि लोग ऐसे मुद्दों से जुड़ी सूचना मांग रहे हैं जो सीधे सीधे उनसे जुड़ी हुई नहीं हैं. उन्हें सरकार के अन्य मामलों के बारे में प्रश्न पूछने की छूट नहीं दी जानी चाहिए, पूर्णतः ग़लत है. आरटीआई अधिनियम का अनुच्छेद 6(2) स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से यह नहीं पूछा जा सकता कि क्यों वह कोई जानकारी मांग रहा है. किसी भी मामले में, आरटीआई इस तथ्य से उद्धृत होता है कि लोग टैक्स/कर देते हैं, यह उनका पैसा है और इसीलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कैसे ख़र्च हो रहा है और कैसे उनकी सरकार चल रही है. इसलिए लोगों को सरकार के प्रत्येक कार्य की प्रत्येक बात जानने का अधिकार है. भले ही वे उस मामले से सीधे तौर पर जुड़े हों या न हों. इसलिए, दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति ऐसी कोई भी सूचना मांग सकता है जो तमिलनाडु से संबंधित हो.
सरकारी रेकॉर्ड्स सही रूप में व्यवस्थित नहीं हैं.
आरटीआई की वजह से सरकारी व्यवस्था पर अब रेकॉर्ड्स सही आकार और स्वरूप में रखने का दवाब बनेगा. अन्यथा, अधिकारी को आरटीआई क़ानून के तहत दंड भुगतना होगा.
प्रथम अपील कब और कैसे करें
आपने सूचना पाने के लिए किसी सरकारी विभाग में आवेदन किया है, 30 दिन बीत जाने के बाद भी आपको सूचना नहीं मिली या मिली भी तो ग़लत और आधी-अधूरी अथवा भ्रामक. या फिर सूचना का अधिकार क़ानून की धारा 8 के प्रावधानों को तोड़-मरोड़ कर आपको सूचना देने से मना कर दिया गया. यह कहा गया कि फलां सूचना दिए जाने से किसी के विशेषाधिकार का हनन होता है या फलां सूचना तीसरे पक्ष से जुड़ी है इत्यादि. अब आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगे? ज़ाहिर है, चुपचाप तो बैठा नहीं जा सकता. इसलिए यह ज़रूरी है कि आप सूचना का अधिकार क़ानून के तहत ऐसे मामलों में प्रथम अपील करें. जब आप आवेदन जमा करते हैं तो उसके 30 दिनों बाद, लेकिन 60 दिनों के अंदर लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी, जो सूचना क़ानून के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है, के यहां अपील करें. यदि आप द्वारा अपील करने के बाद भी कोई सूचना या संतोषजनक सूचना नहीं मिलती है या आपकी प्रथम अपील पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप दूसरी अपील कर सकते हैं. दूसरी अपील के लिए आपको राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में जाना होगा. फिलहाल इस अंक में हम स़िर्फ प्रथम अपील के बारे में ही बात कर रहे हैं. हम प्रथम अपील का एक प्रारूप भी प्रकाशित कर रहे हैं. अगले अंक में हम आपकी सुविधा के लिए द्वितीय अपील का प्रारूप भी प्रकाशित करेंगे. प्रथम अपील के लिए आमतौर पर कोई फीस निर्धारित नहीं है. हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां प्रथम अपील के लिए भी शुल्क निर्धारित कर रखा है. प्रथम अपील के लिए कोई निश्चित प्रारूप (फॉर्म) नहीं होता है. आप चाहें तो एक सादे काग़ज़ पर भी लिखकर प्रथम अपील तैयार कर सकते हैं. हालांकि इस मामले में भी कुछ राज्य सरकारों ने प्रथम अपील के लिए एक ख़ास प्रारूप तैयार कर रखा है. प्रथम अपील आप डाक द्वारा या व्यक्तिगत रूप से संबंधित कार्यालय में जाकर जमा करा सकते हैं. प्रथम अपील के साथ आरटीआई आवेदन, लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना (यदि उपलब्ध कराई गई है तो) एवं आरटीआई आवेदन के साथ दिए गए शुल्क की रसीद आदि की फोटोकॉपी लगाना न भूलें. इस क़ानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि लोक सूचना अधिकारी आपके द्वारा मांगी गई सूचना 30 दिनों के भीतर उपलब्ध नहीं कराता है तो आप प्रथम अपील में सारी सूचनाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए भी कह सकते हैं. इस क़ानून में यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान है. भले ही सूचना हज़ार पन्नों की क्यों न हो. हम उम्मीद करते हैं कि आप इस अंक में प्रकाशित प्रथम अपील के प्रारूप का ज़रूर इस्तेमाल करेंगे और अन्य लोगों को भी इस संबंध में जागरूक करेंगे.
आरटीआई की दूसरी अपील कब करें
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना की अभिगम्यता का अधिकार प्रदान करता है. यदि आपको किसी सूचना की अभिगम्यता प्रदान करने से मना किया गया हो तो आप केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील/ शिकायत दायर कर सकते हैं.
आरटीआई की दूसरी अपील कब करें
दूसरी अपील कब दर्ज करें
19 (1) कोई व्यक्ति, जिसे उपधारा (1) अथवा धारा 7 की उपधारा (3) के खंड (क) के तहत निर्दिष्ट समय के अंदर निर्णय प्राप्त नहीं होता है अथवा वह केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से पीड़ित है, जैसा भी मामला हो, वह उक्त अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के अंदर अथवा निर्णय प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर उस अधिकारी के पास एक अपील दर्ज करा सकता है, जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ स्तर का है, जैसा भी मामला हो:
1. बशर्ते उक्त अधिकारी 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर लेता है. यदि वह इसके प्रति संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से रोकने का पर्याप्त कारण है.
19 (2): जब केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसा भी मामला हो, द्वारा धारा 11 के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन किया जाता है, तब संबंधित तीसरा पक्ष आदेश की तिथि के 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है.
19 (3) उपधारा 1 के तहत निर्णय के विरुद्ध एक दूसरी अपील तिथि के 90 दिनों के अंदर की जाएगी, जब निर्णय किया गया है अथवा इसे केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में वास्तविक रूप से प्राप्त किया गया है:
1. बशर्ते केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर सकता है, यदि वह इसके प्रति संतुष्ट हो कि अपीलकर्ता को समय पर अपील न कर पाने के लिए पर्याप्त कारण हैं.
19 (4): यदि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का निर्णय, जैसा कि मामला हो, दिया जाता है और इसके विरुद्ध तीसरे पक्ष की सूचना से संबंधित एक अपील की जाती है तो केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उस तीसरे पक्ष को सुनने का एक पर्याप्त अवसर देगा.
19 (7): केद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का निर्णय, जैसा भी मामला हो, मानने के लिए बाध्य होगा.
19 (8): अपने निर्णय में केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को निम्नलिखित का अधिकार होगा.
(क) लोक प्राधिकरण द्वारा वे क़दम उठाए जाएं, जो इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ पालन को सुनिश्चित करें, जिसमें शामिल हैं
सूचना तक पहुंच प्रदान करने द्वारा, एक विशेष रूप में, यदि ऐसा अनुरोध किया गया है;
केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति द्वारा, जैसा भी मामला हो;
सूचना की कुछ श्रेणियों या किसी विशिष्ट सूचना के प्रकाशन द्वारा;
अभिलेखों के रखरखाव, प्रबंधन और विनाश के संदर्भ में प्रथाओं में अनिवार्य बदलावों द्वारा;
अपने अधिकारियों को सूचना के अधिकार पर प्रशिक्षण के प्रावधान बढ़ाकर;
धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) का पालन करते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रदान करना;
(ख) लोक प्राधिकरण द्वारा किसी क्षति या अन्य उठाई गई हानि के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देना;
(ग) अधिनियम के तहत प्रदान की गई शक्तियों को अधिरोपित करना;
(घ) आवेदन अस्वीकार करना.
19 (9): केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, अपील के अधिकार सहित अपने निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकरण को देगा.
19 (10): केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उक्त प्रक्रिया में निर्धारित विधि द्वारा अपील का निर्णय देगा.
ऑनलाइन करें अपील या शिकायत
क्या लोक सूचना अधिकारी ने आपको जवाब नहीं दिया या दिया भी तो ग़लत और आधा-अधूरा? क्या प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी आपकी बात नहीं सुनी? ज़ाहिर है, अब आप प्रथम अपील या शिकायत करने की सोच रहे होंगे. अगर मामला केंद्रीय विभाग से जुड़ा हो तो इसके लिए आपको केंद्रीय सूचना आयोग आना पड़ेगा. आप अगर बिहार, उत्तर प्रदेश या देश के अन्य किसी दूरदराज के इलाक़े के रहने वाले हैं तो बार-बार दिल्ली आना आपके लिए मुश्किल भरा काम हो सकता है. लेकिन अब आपको द्वितीय अपील या शिकायत दर्ज कराने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. अब आप सीधे सीआईसी में ऑनलाइन द्वितीय अपील या शिकायत कर सकते हैं. सीआईसी में शिकायत या द्वितीय अपील दर्ज कराने के लिए हीं http:rti.india.gov.in में दिया गया फार्म भरकर जमा करना है. क्लिक करते ही आपकी शिकायत या अपील दर्ज हो जाती है.
दरअसल यह व्यवस्था भारत सरकार की ई-गवर्नेंस योजना का एक हिस्सा है. अब वेबसाइट के माध्यम से केंद्रीय सूचना आयोग में शिकायत या द्वितीय अपील भी दर्ज की जा सकती है. इतना ही नहीं, आपकी अपील या शिकायत की वर्तमान स्थिति क्या है, उस पर क्या कार्रवाई की गई है, यह जानकारी भी आप घर बैठे ही पा सकते हैं. सीआईसी में द्वितीय अपील दर्ज कराने के लिए वेबसाइट में प्रोविजनल संख्या पूछी जाती है. वेबसाइट पर जाकर आप सीआईसी के निर्णय, वाद सूची, अपनी अपील या शिकायत की स्थिति भी जांच सकते हैं. इस पहल को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम माना जा रहा है. सूचना का अधिकार क़ानून लागू होने के बाद से लगातार यह मांग की जा रही थी कि आरटीआई आवेदन एवं अपील ऑनलाइन करने की व्यवस्था की जाए, जिससे सूचना का अधिकार आसानी से लोगों तक अपनी पहुंच बना सके और आवेदक को सूचना प्राप्त करने में ज़्यादा द़िक्क़त न उठानी पड़े.
आरटीआई ने दिलाई आज़ादी
मुंगेर (बिहार) से अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता ओम प्रकाश पोद्दार ने हमें सूचित किया है कि सूचना का अधिकार क़ानून की बदौलत बिहार में एक ऐसा काम हुआ है, जिसने सूचना क़ानून की ताक़त से आम आदमी को तो परिचित कराया ही, साथ में राज्य की अ़फसरशाही को भी सबक सिखाने का काम किया. दरअसल राज्य की अलग-अलग जेलों में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे 106 क़ैदियों की सज़ा पूरी तो हो चुकी थी, फिर भी उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा था. यह जानकारी सूचना क़ानून के तहत ही निकल कर आई थी. इसके बाद पोद्दार ने इस मामले में एक लोकहित याचिका दायर की. मार्च 2010 में हाईकोर्ट के आदेश पर ससमय परिहार परिषद की बैठक शुरू हुई, जिसमें उन क़ैदियों की मुक्ति का मार्ग खुला, जो अपनी सज़ा पूरी करने के बावजूद रिहा नहीं हो पा रहे थे..
कब करें आयोग में शिकायत
दरअसल, अपील और शिक़ायत में एक बुनियादी फर्क़ है. कई बार ऐसा होता है कि आपने अपने आरटीआई आवेदन में जो सवाल पूछा है, उसका जवाब आपको ग़लत दे दिया जाता है और आपको पूर्ण विश्वास है कि जो जवाब दिया गया है वह ग़लत, अपूर्ण या भ्रामक है. इसके अलावा, आप किसी सरकारी महकमे में आरटीआई आवेदन जमा करने जाते हैं और पता चलता है कि वहां तो लोक सूचना अधिकारी ही नियुक्त नहीं किया गया है. या फिर आपसे ग़लत फीस वसूली जाती है. तो, ऐसे मामलों में हम सीधे राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में शिक़ायत कर सकते है. ऐसे मामलों में अपील की जगह सीधे शिक़ायत करना ही समाधान है. आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को एक लोक प्राधिकारी के पास उपलब्ध जानकारी तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है. यदि आपको कोई जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केंद्रीय सूचना आयोग/राज्य सूचना आयोग, जैसा मामला हो, में अपनी शिक़ायत दर्ज करा सकते हैं.
सूचना क़ानून की धारा 18 (1) के तहत यह केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है, जैसा भी मामला हो, कि वे एक व्यक्ति से शिक़ायत स्वीकार करें और पूछताछ करें. कई बार लोग केंद्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते, जैसा भी मामला हो. इसका कारण कुछ भी हो सकता है, उक्त अधिकारी या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्त न किया गया हो, जैसा भी मामला हो, ने इस अधिनियम के तहत अग्रेषित करने के लिए कोई सूचना या अपील के लिए उनके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया हो, जिसे वह केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या धारा 19 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास न भेजें या केंद्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में अग्रेषित न करें, जैसा भी मामला हो.
जिसे इस अधिनियम के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो. ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो.
जिसे शुल्क भुगतान करने की आवश्यकता हो, जिसे वह अनुपयुक्त मानता/मानती है.
जिसे विश्वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है.
इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में.
जब मिले ग़लत, भ्रामक या अधूरी सूचना
द्वितीय अपील तब करते हैं, जब प्रथम अपील के बाद भी आपको संतोषजनक सूचना नहीं मिलती है. राज्य सरकार से जुड़े मामलों में यह अपील राज्य सूचना आयोग और केंद्र सरकार से जुड़े मामलों में यह अपील केंद्रीय सूचना आयोग में की जाती है. हमने आपकी सुविधा के लिए द्वितीय अपील का एक प्रारूप भी प्रकाशित किया था. हमें उम्मीद है कि आपने इसका इस्तेमाल ज़रूर किया होगा. इससे निश्चय ही फायदा होगा. इस अंक में हम सूचना का अधिकार क़ानून 2005 की धारा 18 के बारे में बात कर रहे हैं. धारा 18 के तहत शिक़ायत दर्ज कराने की व्यवस्था है. एक आवेदक के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि किन-किन परिस्थितियों में शिक़ायत दर्ज कराई जा सकती है. लोक सूचना अधिकारी यदि आवेदन लेने से इंकार करता है अथवा परेशान करता है तो इसकी शिक़ायत सीधे आयोग में की जा सकती है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं को अस्वीकार करने, अपूर्ण सूचना उपलब्ध कराने, भ्रामक या ग़लत सूचना देने के ख़िला़फ भी शिक़ायत दर्ज कराई जा सकती है. सूचना के लिए अधिक फीस मांगने के ख़िला़फ भी आवेदक आयोग में सीधे शिक़ायत दर्ज करा सकता है. उपरोक्त में से कोई भी स्थिति सामने आने पर आवेदक को प्रथम अपील करने की ज़रूरत नहीं होती. आवेदक चाहे तो सीधे सूचना आयोग में अपनी शिक़ायत �
सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ. यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है. जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है. सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है. यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है. इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है. यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है.
किससे और क्या सूचना मांग सकते हैं
सभी इकाइयों/विभागों, जो संविधान या अन्य कानूनों या किसी सरकारी अधिसूचना के अधीन बने हैं अथवा सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित किए जाते हों, वहां से संबंधित सूचना मांगी जा सकती है.
सरकार से कोई भी सूचना मांग सकते हैं.
सरकारी निर्णय की प्रति ले सकते हैं.
सरकारी दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकते हैं.
सरकारी कार्य का निरीक्षण कर सकते हैं.
सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले सकते हैं
किससे मिलेगी सूचना और कितना आवेदन शुल्क
इस कानून के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग में जन/लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के पद का प्रावधान है. आरटीआई आवेदन इनके पास जमा करना होता है. आवेदन के साथ केंद्र सरकार के विभागों के लिए 10 रुपये का आवेदन शुल्क देना पड़ता है. हालांकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग शुल्क निर्धारित हैं. सूचना पाने के लिए 2 रुपये प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देने पड़ते हैं. यह शुल्क विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग है. आवेदन शुल्क नकद, डीडी, बैंकर चेक या पोस्टल आर्डर के माध्यम से जमा किया जा सकता है. कुछ राज्यों में आप कोर्ट फीस टिकटें खरीद सकते हैं और अपनी अर्ज़ी पर चिपका सकते हैं. ऐसा करने पर आपका शुल्क जमा माना जाएगा. आप तब अपनी अर्ज़ी स्वयं या डाक से जमा करा सकते हैं.
आवेदन का प्रारूप क्या हो
केंद्र सरकार के विभागों के लिए कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है. आप एक सादे कागज़ पर एक सामान्य अर्ज़ी की तरह ही आवेदन बना सकते हैं और इसे पीआईओ के पास स्वयं या डाक द्वारा जमा कर सकते हैं. (अपने आवेदन की एक प्रति अपने पास निजी संदर्भ के लिए अवश्य रखें)
सूचना प्राप्ति की समय सीमा
पीआईओ को आवेदन देने के 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आवेदन सहायक पीआईओ को दिया गया है तो सूचना 35 दिनों के भीतर मिल जानी चाहिए.
सूचना न मिलने पर क्या करे
यदि सूचना न मिले या प्राप्त सूचना से आप संतुष्ट न हों तो अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है. हर विभाग में प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है. सूचना प्राप्ति के 30 दिनों और आरटीआई अर्जी दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर आप प्रथम अपील दायर कर सकते हैं.
द्वितीय अपील क्या है?
द्वितीय अपील आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का अंतिम विकल्प है. द्वितीय अपील सूचना आयोग के पास दायर की जा सकती है. केंद्र सरकार के विभागों के विरुद्ध केंद्रीय सूचना आयोग है और राज्य सरकार के विभागों के विरुद्ध राज्य सूचना आयोग. प्रथम अपील के निष्पादन के 90 दिनों के भीतर या उस तारीख के 90 दिनों के भीतर कि जब तक प्रथम अपील निष्पादित होनी थी, द्वितीय अपील दायर की जा सकती है. अगर राज्य सूचना आयोग में जाने पर भी सूचना नहीं मिले तो एक और स्मरणपत्र राज्य सूचना आयोग में भेज सकते हैं. यदि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जा सकते हैं.
सवाल पूछो, ज़िंदगी बदलो
सूचना कौन देगा
प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (पीआईओ - PIO ) का पद होता है. आपको अपनी अर्जी उसके पास दाख़िल करनी होगी. यह उसका उत्तरदायित्व है कि वह उस विभाग के विभिन्न भागों से आप द्वारा मांगी गई जानकारी इकट्ठा करे और आपको प्रदान करे. इसके अलावा कई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाता है. उनका कार्य जनता से आरटीआई आवेदन लेना और पीआईओ के पास भेजना है.
आरटीआई आवेदन कहां जमा करें
आप अपनी अर्जी-आवेदन पीआईओ या एपीआईओ के पास जमा कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. मतलब यह कि आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई काउंटर पर अपना आरटीआई आवेदन और शुल्क जमा करा सकते हैं. वहां आपको एक रसीद भी मिलेगी. यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वह उसे संबंधित पीआईओ के पास भेजे.
यदि पीआईओ या संबंधित विभाग आरटीआई आवेदन स्वीकार न करने पर
ऐसी स्थिति में आप अपना आवेदन डाक द्वारा भेज सकते हैं. इसकी औपचारिक शिक़ायत संबंधित सूचना आयोग को भी अनुच्छेद 18 के तहत करें. सूचना आयुक्त को उस अधिकारी पर 25,000 रुपये का अर्थदंड लगाने का अधिकार है, जिसने आवेदन लेने से मना किया था.
पीआईओ या एपीआईओ का पता न चलने पर
यदि पीआईओ या एपीआईओ का पता लगाने में कठिनाई होती है तो आप आवेदन विभागाध्यक्ष को भेज सकते हैं. विभागाध्यक्ष को वह अर्जी संबंधित पीआईओ के पास भेजनी होगी.
अगर पीआईओ आवेदन न लें
पीआईओ आरटीआई आवेदन लेने से किसी भी परिस्थिति में मना नहीं कर सकता. भले ही वह सूचना उसके विभाग/कार्यक्षेत्र में न आती हो. उसे अर्जी स्वीकार करनी होगी. यदि आवेदन-अर्जी उस पीआईओ से संबंधित न हो तो वह उसे उपायुक्त पीआईओ के पास पांच दिनों के भीतर अनुच्छेद 6(3) के तहत भेज सकता है.
क्या सरकारी दस्तावेज़ गोपनीयता क़ानून 1923 सूचना के अधिकार में बाधा है नहीं. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुच्छेद 22 के अनुसार सूचना का अधिकार क़ानून सभी मौजूदा क़ानूनों का स्थान ले लेगा.
अगर पीआईओ सूचना न दें
एक पीआईओ सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद आठ में दिए गए हैं. इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचना, विधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं आदि. सूचना का अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गई है, जिन पर यह लागू नहीं होता. हालांकि उन्हें भी वे सूचनाएं देनी होंगी, जो भ्रष्टाचार के आरोपों और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी हों.
कहां कितना आरटीआई शुल्क
प्रथम अपील/द्वितीय अपील की कोई फीस नहीं है. हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने फीस का प्रावधान किया है. विभिन्न राज्यों में सूचना शुल्क/अपील शुल्क का प्रारूप अलग-अलग है.कहीं आवेदन के लिए शुल्क 10 रुपये है तो कहीं 50 रुपये. इसी तरह दस्तावेजों की फोटोकॉपी के लिए कहीं 2 रुपये तो कहीं 5 रुपये लिए जाते हैं.
क्या फाइल नोटिंग मिलता है
फाइलों की टिप्पणियां (फाइल नोटिंग) सरकारी फाइल का अभिन्न हिस्सा हैं और इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक की जा सकती हैं. केंद्रीय सूचना आयोग ने 31 जनवरी 2006 के अपने एक आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है.
सूचना क्यों चाहिए, क्या उसका कारण बताना होगा
बिल्कुल नहीं. कोई कारण या अन्य सूचना केवल संपर्क विवरण (नाम, पता, फोन नंबर) के अतिरिक्त देने की ज़रूरत नहीं है. सूचना क़ानून स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से संपर्क विवरण के अतिरिक्त कुछ नहीं पूछा जाएगा.
कैसे करे सूचना के लिए आवदेन एक उदाहरण से समझे
यह क़ानून कैसे मेरे कार्य पूरे होने में मेरी सहायता करता है? कोई अधिकारी क्यों अब तक आपके रुके काम को, जो वह पहले नहीं कर रहा था, करने के लिए मजबूर होता है और कैसे यह क़ानून आपके काम को आसानी से पूरा करवाता है इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं.
एक आवेदक ने राशन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन किया. उसे राशन कार्ड नहीं दिया जा रहा था. लेकिन जब उसने आरटीआई के तहत आवेदन दिया. आवेदन डालते ही, उसे एक सप्ताह के भीतर राशन कार्ड दे दिया गया. आवेदक ने निम्न सवाल पूछे थे:
1. मैंने एक डुप्लीकेट राशन कार्ड के लिए 10 नवंबर 2009 को अर्जी दी थी. कृपया मुझे मेरी अर्जी पर हुई दैनिक प्रगति रिपोर्ट बताएं अर्थात मेरी अर्जी किस अधिकारी के पास कब पहुंची, उस अधिकारी के पास यह कितने समय रही और उसने उतने समय तक मेरी अर्जी पर क्या कार्रवाई की?
2. नियमों के अनुसार, मेरा कार्ड कितने दिनों के भीतर बन जाना चाहिए था. अब तीन माह से अधिक का समय हो गया है. कृपया उन अधिकारियों के नाम व पद बताएं जिनसे आशा की जाती है कि वे मेरी अर्जी पर कार्रवाई करते व जिन्होंने ऐसा नहीं किया?
3. इन अधिकारियों के विरुद्ध अपना कार्य न करने व जनता के शोषण के लिए क्या कार्रवाई की जाएगी? वह कार्रवाई कब तक की जाएगी?
4. अब मुझे कब तक अपना कार्ड मिल जाएगा?
आमतौर पर पहले ऐसे आवेदन कूड़ेदान में फेंक दिए जाते थे. लेकिन सूचना क़ानून के तहत दिए गए आवेदन के संबंध में यह क़ानून कहता है कि सरकार को 30 दिनों में जवाब देना होगा. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, उनके वेतन में कटौती की जा सकती है. ज़ाहिर है, ऐसे प्रश्नों का उत्तर देना अधिकारियों के लिए आसान नहीं होगा.
पहला प्रश्न है : कृपया मुझे मेरी अर्जी पर हुई दैनिक उन्नति बताएं.
कोई उन्नति हुई ही नहीं है. लेकिन सरकारी अधिकारी यह इन शब्दों में लिख ही नहीं सकते कि उन्होंने कई महीनों से कोई कार्रवाई नहीं की है. वरन यह काग़ज़ पर ग़लती स्वीकारने जैसा होगा.
अगला प्रश्न है : कृपया उन अधिकारियों के नाम व पद बताएं जिनसे आशा की जाती है कि वे मेरी अर्जी पर कार्रवाई करते व जिन्होंने ऐसा नहीं किया.
यदि सरकार उन अधिकारियों के नाम व पद बताती है, तो उनका उत्तरदायित्व निर्धारित हो जाता है. एक अधिकारी अपने विरुद्ध इस प्रकार कोई उत्तरदायित्व निर्धारित होने के प्रति का़फी सतर्क होता है. इस प्रकार, जब कोई इस तरह अपनी अर्जी देता है, उसका रुका कार्य संपन्न हो जाता है.
घूस को मारिए घूंसा
कैसे यह क़ानून आम आदमी की रोज़मर्रा की समस्याओं (सरकारी दफ़्तरों से संबंधित) का समाधान निकाल सकता है. वो भी, बिना रिश्वत दिए. बिना जी-हुजूरी किए. आपको बस अपनी समस्याओं के बारे में संबंधित विभाग से सवाल पूछना है. जैसे ही आपका सवाल संबंधित विभाग तक पहुंचेगा वैसे ही संबंधित अधिकारी पर क़ानूनी तौर पर यह ज़िम्मेवारी आ जाएगी कि वो आपके सवालों का जवाब दे. ज़ाहिर है, अगर उस अधिकारी ने बेवजह आपके काम को लटकाया है तो वह आपके सवालों का जवाब भला कैसे देगा.
आप अपना आरटीआई आवेदन (जिसमें आपकी समस्या से जुड़े सवाल होंगे) संबंधित सरकारी विभाग के लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के पास स्वयं जा कर या डाक के द्वारा जमा करा सकते हैं. आरटीआई क़ानून के मुताबिक़ प्रत्येक सरकारी विभाग में एक लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त करना आवश्यक है. यह ज़रूरी नहीं है कि आपको उस पीआईओ का नाम मालूम हो. यदि आप प्रखंड स्तर के किसी समस्या के बारे में सवाल पूछना चाहते है तो आप क्षेत्र के बीडीओ से संपर्क कर सकते हैं. केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के पते जानने के लिए आप इंटरनेट की भी मदद ले सकते है. और, हां एक बच्चा भी आरटीआई क़ानून के तहत आरटीआई आवेदन दाख़िल कर सकता है.
सूचना ना देने पर अधिकारी को सजा
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कोई क़ानून किसी अधिकारी की अकर्मण्यता/लापरवाही के प्रति जवाबदेही तय करता है और इस क़ानून में आर्थिक दंड का भी प्रावधान है. यदि संबंधित अधिकारी समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराता है तो उस पर 250 रु. प्रतिदिन के हिसाब से सूचना आयुक्त द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि दी गई सूचना ग़लत है तो अधिकतम 25000 रु. तक का भी जुर्माना लगाया जा सकता है. जुर्माना आपके आवेदन को ग़लत कारणों से नकारने या ग़लत सूचना देने पर भी लगाया जा सकता है. यह जुर्माना उस अधिकारी के निजी वेतन से काटा जाता है.
सवाल : क्या पीआईओ पर लगे जुर्माने की राशि आवेदक को दी जाती है?
जवाब : नहीं, जुर्माने की राशि सरकारी खजाने में जमा हो जाती है. हालांकि अनुच्छेद 19 के तहत, आवेदक मुआवज़ा मांग सकता है.
आरटीआई के इस्तेमाल में समझदारी दिखाएं
कई बार आरटीआई के इस्तेमाल के बाद आवेदक को परेशान किया किया जाता है या झूठे मुक़दमे में फंसाकर उनका मानसिक और आर्थिक शोषण किया किया जाता है . यह एक गंभीर मामला है और आरटीआई क़ानून के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद से ही इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं. आवेदकों को धमकियां दी गईं, जेल भेजा गया. यहां तक कि कई आरटीआई कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमले भी हुए. झारखंड के ललित मेहता, पुणे के सतीश शेट्टी जैसे समर्पित आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या तक कर दी गई.
इन सब बातों से घबराने की ज़रूरत नहीं है. हमें इस क़ानून का इस्तेमाल इस तरह करना होगा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. मतलब अति उत्साह के बजाय थोड़ी समझदारी दिखानी होगी. ख़ासकर ऐसे मामलों में जो जनहित से जुड़े हों और जिस सूचना के सार्वजनिक होने से ताक़तवर लोगों का पर्दाफाश होना तय हो, क्योंकि सफेदपोश ताक़तवर लोग ख़ुद को सुरक्षित बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वे साम, दाम, दंड और भेद कोई भी नीति अपना सकते हैं. यहीं पर एक आरटीआई आवेदक को ज़्यादा सतर्कता और समझदारी दिखाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपको एक ऐसे मामले की जानकारी है, जिसका सार्वजनिक होना ज़रूरी है, लेकिन इससे आपकी जान को ख़तरा हो सकता है. ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे? हमारी समझ और सलाह के मुताबिक़, आपको ख़ुद आरटीआई आवेदन देने के बजाय किसी और से आवेदन दिलवाना चाहिए. ख़ासकर उस ज़िले से बाहर के किसी व्यक्ति की ओर से. आप यह कोशिश भी कर सकते हैं कि अगर आपके कोई मित्र राज्य से बाहर रहते हों तो आप उनसे भी उस मामले पर आरटीआई आवेदन डलवा सकते हैं. इससे होगा यह कि जो लोग आपको धमका सकते हैं, वे एक साथ कई लोगों या अन्य राज्य में रहने वाले आवेदक को नहीं धमका पाएंगे. आप चाहें तो यह भी कर सकते हैं कि एक मामले में सैकड़ों लोगों से आवेदन डलवा दें. इससे दबाव काफी बढ़ जाएगा. यदि आपका स्वयं का कोई मामला हो तो भी कोशिश करें कि एक से ज़्यादा लोग आपके मामले में आरटीआई आवेदन डालें. साथ ही आप अपने क्षेत्र में काम कर रही किसी ग़ैर सरकारी संस्था की भी मदद ले सकते हैं.
सवाल - जवाब
क्या फाइल नोटिंग का सार्वजनिक होना अधिकारियों को ईमानदार सलाह देने से रोकेगा?
नहीं, यह आशंका ग़लत है. इसके उलट, हर अधिकारी को अब यह पता होगा कि जो कुछ भी वह लिखता है वह जन- समीक्षा का विषय हो सकता है. यह उस पर उत्तम जनहित में लिखने का दबाव बनाएगा. कुछ ईमानदार नौकरशाहों ने अलग से स्वीकार किया है कि आरटीआई उनके राजनीतिक व अन्य प्रभावों को दरकिनार करने में बहुत प्रभावी रहा है. अब अधिकारी सीधे तौर स्वीकार करते हैं कि यदि उन्होंने कुछ ग़लत किया तो उनका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए, अधिकारियों ने इस बात पर जोर देना शुरू कर दिया है कि वरिष्ठ अधिकारी भी उन्हें लिखित में निर्देश दें.
क्या बहुत लंबी-चौड़ी सूचना मांगने वाले आवेदन को ख़ारिज किया जाना चाहिए?
यदि कोई आवेदक ऐसी जानकारी चाहता है जो एक लाख पृष्ठों की हो तो वह ऐसा तभी करेगा जब सचमुच उसे इसकी ज़रूरत होगी क्योंकि उसके लिए दो लाख रुपयों का भुगतान करना होगा. यह अपने आप में ही हतोत्साहित करने वाला उपाय है. यदि अर्ज़ी इस आधार पर रद्द कर दी गयी, तो प्रार्थी इसे तोड़कर प्रत्येक अर्ज़ी में 100 पृष्ठ मांगते हुए 1000 अर्जियां बना लेगा, जिससे किसी का भी लाभ नहीं होगा. इसलिए, इस कारण अर्जियां रद्द नहीं होनी चाहिए कि लोग ऐसे मुद्दों से जुड़ी सूचना मांग रहे हैं जो सीधे सीधे उनसे जुड़ी हुई नहीं हैं. उन्हें सरकार के अन्य मामलों के बारे में प्रश्न पूछने की छूट नहीं दी जानी चाहिए, पूर्णतः ग़लत है. आरटीआई अधिनियम का अनुच्छेद 6(2) स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से यह नहीं पूछा जा सकता कि क्यों वह कोई जानकारी मांग रहा है. किसी भी मामले में, आरटीआई इस तथ्य से उद्धृत होता है कि लोग टैक्स/कर देते हैं, यह उनका पैसा है और इसीलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कैसे ख़र्च हो रहा है और कैसे उनकी सरकार चल रही है. इसलिए लोगों को सरकार के प्रत्येक कार्य की प्रत्येक बात जानने का अधिकार है. भले ही वे उस मामले से सीधे तौर पर जुड़े हों या न हों. इसलिए, दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति ऐसी कोई भी सूचना मांग सकता है जो तमिलनाडु से संबंधित हो.
सरकारी रेकॉर्ड्स सही रूप में व्यवस्थित नहीं हैं.
आरटीआई की वजह से सरकारी व्यवस्था पर अब रेकॉर्ड्स सही आकार और स्वरूप में रखने का दवाब बनेगा. अन्यथा, अधिकारी को आरटीआई क़ानून के तहत दंड भुगतना होगा.
प्रथम अपील कब और कैसे करें
आपने सूचना पाने के लिए किसी सरकारी विभाग में आवेदन किया है, 30 दिन बीत जाने के बाद भी आपको सूचना नहीं मिली या मिली भी तो ग़लत और आधी-अधूरी अथवा भ्रामक. या फिर सूचना का अधिकार क़ानून की धारा 8 के प्रावधानों को तोड़-मरोड़ कर आपको सूचना देने से मना कर दिया गया. यह कहा गया कि फलां सूचना दिए जाने से किसी के विशेषाधिकार का हनन होता है या फलां सूचना तीसरे पक्ष से जुड़ी है इत्यादि. अब आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगे? ज़ाहिर है, चुपचाप तो बैठा नहीं जा सकता. इसलिए यह ज़रूरी है कि आप सूचना का अधिकार क़ानून के तहत ऐसे मामलों में प्रथम अपील करें. जब आप आवेदन जमा करते हैं तो उसके 30 दिनों बाद, लेकिन 60 दिनों के अंदर लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी, जो सूचना क़ानून के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी होता है, के यहां अपील करें. यदि आप द्वारा अपील करने के बाद भी कोई सूचना या संतोषजनक सूचना नहीं मिलती है या आपकी प्रथम अपील पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आप दूसरी अपील कर सकते हैं. दूसरी अपील के लिए आपको राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में जाना होगा. फिलहाल इस अंक में हम स़िर्फ प्रथम अपील के बारे में ही बात कर रहे हैं. हम प्रथम अपील का एक प्रारूप भी प्रकाशित कर रहे हैं. अगले अंक में हम आपकी सुविधा के लिए द्वितीय अपील का प्रारूप भी प्रकाशित करेंगे. प्रथम अपील के लिए आमतौर पर कोई फीस निर्धारित नहीं है. हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां प्रथम अपील के लिए भी शुल्क निर्धारित कर रखा है. प्रथम अपील के लिए कोई निश्चित प्रारूप (फॉर्म) नहीं होता है. आप चाहें तो एक सादे काग़ज़ पर भी लिखकर प्रथम अपील तैयार कर सकते हैं. हालांकि इस मामले में भी कुछ राज्य सरकारों ने प्रथम अपील के लिए एक ख़ास प्रारूप तैयार कर रखा है. प्रथम अपील आप डाक द्वारा या व्यक्तिगत रूप से संबंधित कार्यालय में जाकर जमा करा सकते हैं. प्रथम अपील के साथ आरटीआई आवेदन, लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना (यदि उपलब्ध कराई गई है तो) एवं आरटीआई आवेदन के साथ दिए गए शुल्क की रसीद आदि की फोटोकॉपी लगाना न भूलें. इस क़ानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि लोक सूचना अधिकारी आपके द्वारा मांगी गई सूचना 30 दिनों के भीतर उपलब्ध नहीं कराता है तो आप प्रथम अपील में सारी सूचनाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए भी कह सकते हैं. इस क़ानून में यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान है. भले ही सूचना हज़ार पन्नों की क्यों न हो. हम उम्मीद करते हैं कि आप इस अंक में प्रकाशित प्रथम अपील के प्रारूप का ज़रूर इस्तेमाल करेंगे और अन्य लोगों को भी इस संबंध में जागरूक करेंगे.
आरटीआई की दूसरी अपील कब करें
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना की अभिगम्यता का अधिकार प्रदान करता है. यदि आपको किसी सूचना की अभिगम्यता प्रदान करने से मना किया गया हो तो आप केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील/ शिकायत दायर कर सकते हैं.
आरटीआई की दूसरी अपील कब करें
दूसरी अपील कब दर्ज करें
19 (1) कोई व्यक्ति, जिसे उपधारा (1) अथवा धारा 7 की उपधारा (3) के खंड (क) के तहत निर्दिष्ट समय के अंदर निर्णय प्राप्त नहीं होता है अथवा वह केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से पीड़ित है, जैसा भी मामला हो, वह उक्त अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के अंदर अथवा निर्णय प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर उस अधिकारी के पास एक अपील दर्ज करा सकता है, जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ स्तर का है, जैसा भी मामला हो:
1. बशर्ते उक्त अधिकारी 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर लेता है. यदि वह इसके प्रति संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से रोकने का पर्याप्त कारण है.
19 (2): जब केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसा भी मामला हो, द्वारा धारा 11 के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन किया जाता है, तब संबंधित तीसरा पक्ष आदेश की तिथि के 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है.
19 (3) उपधारा 1 के तहत निर्णय के विरुद्ध एक दूसरी अपील तिथि के 90 दिनों के अंदर की जाएगी, जब निर्णय किया गया है अथवा इसे केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में वास्तविक रूप से प्राप्त किया गया है:
1. बशर्ते केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर सकता है, यदि वह इसके प्रति संतुष्ट हो कि अपीलकर्ता को समय पर अपील न कर पाने के लिए पर्याप्त कारण हैं.
19 (4): यदि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का निर्णय, जैसा कि मामला हो, दिया जाता है और इसके विरुद्ध तीसरे पक्ष की सूचना से संबंधित एक अपील की जाती है तो केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उस तीसरे पक्ष को सुनने का एक पर्याप्त अवसर देगा.
19 (7): केद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का निर्णय, जैसा भी मामला हो, मानने के लिए बाध्य होगा.
19 (8): अपने निर्णय में केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को निम्नलिखित का अधिकार होगा.
(क) लोक प्राधिकरण द्वारा वे क़दम उठाए जाएं, जो इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ पालन को सुनिश्चित करें, जिसमें शामिल हैं
सूचना तक पहुंच प्रदान करने द्वारा, एक विशेष रूप में, यदि ऐसा अनुरोध किया गया है;
केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति द्वारा, जैसा भी मामला हो;
सूचना की कुछ श्रेणियों या किसी विशिष्ट सूचना के प्रकाशन द्वारा;
अभिलेखों के रखरखाव, प्रबंधन और विनाश के संदर्भ में प्रथाओं में अनिवार्य बदलावों द्वारा;
अपने अधिकारियों को सूचना के अधिकार पर प्रशिक्षण के प्रावधान बढ़ाकर;
धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) का पालन करते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रदान करना;
(ख) लोक प्राधिकरण द्वारा किसी क्षति या अन्य उठाई गई हानि के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देना;
(ग) अधिनियम के तहत प्रदान की गई शक्तियों को अधिरोपित करना;
(घ) आवेदन अस्वीकार करना.
19 (9): केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, अपील के अधिकार सहित अपने निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकरण को देगा.
19 (10): केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उक्त प्रक्रिया में निर्धारित विधि द्वारा अपील का निर्णय देगा.
ऑनलाइन करें अपील या शिकायत
क्या लोक सूचना अधिकारी ने आपको जवाब नहीं दिया या दिया भी तो ग़लत और आधा-अधूरा? क्या प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी आपकी बात नहीं सुनी? ज़ाहिर है, अब आप प्रथम अपील या शिकायत करने की सोच रहे होंगे. अगर मामला केंद्रीय विभाग से जुड़ा हो तो इसके लिए आपको केंद्रीय सूचना आयोग आना पड़ेगा. आप अगर बिहार, उत्तर प्रदेश या देश के अन्य किसी दूरदराज के इलाक़े के रहने वाले हैं तो बार-बार दिल्ली आना आपके लिए मुश्किल भरा काम हो सकता है. लेकिन अब आपको द्वितीय अपील या शिकायत दर्ज कराने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. अब आप सीधे सीआईसी में ऑनलाइन द्वितीय अपील या शिकायत कर सकते हैं. सीआईसी में शिकायत या द्वितीय अपील दर्ज कराने के लिए हीं http:rti.india.gov.in में दिया गया फार्म भरकर जमा करना है. क्लिक करते ही आपकी शिकायत या अपील दर्ज हो जाती है.
दरअसल यह व्यवस्था भारत सरकार की ई-गवर्नेंस योजना का एक हिस्सा है. अब वेबसाइट के माध्यम से केंद्रीय सूचना आयोग में शिकायत या द्वितीय अपील भी दर्ज की जा सकती है. इतना ही नहीं, आपकी अपील या शिकायत की वर्तमान स्थिति क्या है, उस पर क्या कार्रवाई की गई है, यह जानकारी भी आप घर बैठे ही पा सकते हैं. सीआईसी में द्वितीय अपील दर्ज कराने के लिए वेबसाइट में प्रोविजनल संख्या पूछी जाती है. वेबसाइट पर जाकर आप सीआईसी के निर्णय, वाद सूची, अपनी अपील या शिकायत की स्थिति भी जांच सकते हैं. इस पहल को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम माना जा रहा है. सूचना का अधिकार क़ानून लागू होने के बाद से लगातार यह मांग की जा रही थी कि आरटीआई आवेदन एवं अपील ऑनलाइन करने की व्यवस्था की जाए, जिससे सूचना का अधिकार आसानी से लोगों तक अपनी पहुंच बना सके और आवेदक को सूचना प्राप्त करने में ज़्यादा द़िक्क़त न उठानी पड़े.
आरटीआई ने दिलाई आज़ादी
मुंगेर (बिहार) से अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता ओम प्रकाश पोद्दार ने हमें सूचित किया है कि सूचना का अधिकार क़ानून की बदौलत बिहार में एक ऐसा काम हुआ है, जिसने सूचना क़ानून की ताक़त से आम आदमी को तो परिचित कराया ही, साथ में राज्य की अ़फसरशाही को भी सबक सिखाने का काम किया. दरअसल राज्य की अलग-अलग जेलों में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे 106 क़ैदियों की सज़ा पूरी तो हो चुकी थी, फिर भी उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा था. यह जानकारी सूचना क़ानून के तहत ही निकल कर आई थी. इसके बाद पोद्दार ने इस मामले में एक लोकहित याचिका दायर की. मार्च 2010 में हाईकोर्ट के आदेश पर ससमय परिहार परिषद की बैठक शुरू हुई, जिसमें उन क़ैदियों की मुक्ति का मार्ग खुला, जो अपनी सज़ा पूरी करने के बावजूद रिहा नहीं हो पा रहे थे..
कब करें आयोग में शिकायत
दरअसल, अपील और शिक़ायत में एक बुनियादी फर्क़ है. कई बार ऐसा होता है कि आपने अपने आरटीआई आवेदन में जो सवाल पूछा है, उसका जवाब आपको ग़लत दे दिया जाता है और आपको पूर्ण विश्वास है कि जो जवाब दिया गया है वह ग़लत, अपूर्ण या भ्रामक है. इसके अलावा, आप किसी सरकारी महकमे में आरटीआई आवेदन जमा करने जाते हैं और पता चलता है कि वहां तो लोक सूचना अधिकारी ही नियुक्त नहीं किया गया है. या फिर आपसे ग़लत फीस वसूली जाती है. तो, ऐसे मामलों में हम सीधे राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में शिक़ायत कर सकते है. ऐसे मामलों में अपील की जगह सीधे शिक़ायत करना ही समाधान है. आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को एक लोक प्राधिकारी के पास उपलब्ध जानकारी तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है. यदि आपको कोई जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केंद्रीय सूचना आयोग/राज्य सूचना आयोग, जैसा मामला हो, में अपनी शिक़ायत दर्ज करा सकते हैं.
सूचना क़ानून की धारा 18 (1) के तहत यह केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है, जैसा भी मामला हो, कि वे एक व्यक्ति से शिक़ायत स्वीकार करें और पूछताछ करें. कई बार लोग केंद्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते, जैसा भी मामला हो. इसका कारण कुछ भी हो सकता है, उक्त अधिकारी या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्त न किया गया हो, जैसा भी मामला हो, ने इस अधिनियम के तहत अग्रेषित करने के लिए कोई सूचना या अपील के लिए उनके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया हो, जिसे वह केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या धारा 19 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास न भेजें या केंद्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में अग्रेषित न करें, जैसा भी मामला हो.
जिसे इस अधिनियम के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो. ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो.
जिसे शुल्क भुगतान करने की आवश्यकता हो, जिसे वह अनुपयुक्त मानता/मानती है.
जिसे विश्वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है.
इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में.
जब मिले ग़लत, भ्रामक या अधूरी सूचना
द्वितीय अपील तब करते हैं, जब प्रथम अपील के बाद भी आपको संतोषजनक सूचना नहीं मिलती है. राज्य सरकार से जुड़े मामलों में यह अपील राज्य सूचना आयोग और केंद्र सरकार से जुड़े मामलों में यह अपील केंद्रीय सूचना आयोग में की जाती है. हमने आपकी सुविधा के लिए द्वितीय अपील का एक प्रारूप भी प्रकाशित किया था. हमें उम्मीद है कि आपने इसका इस्तेमाल ज़रूर किया होगा. इससे निश्चय ही फायदा होगा. इस अंक में हम सूचना का अधिकार क़ानून 2005 की धारा 18 के बारे में बात कर रहे हैं. धारा 18 के तहत शिक़ायत दर्ज कराने की व्यवस्था है. एक आवेदक के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि किन-किन परिस्थितियों में शिक़ायत दर्ज कराई जा सकती है. लोक सूचना अधिकारी यदि आवेदन लेने से इंकार करता है अथवा परेशान करता है तो इसकी शिक़ायत सीधे आयोग में की जा सकती है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं को अस्वीकार करने, अपूर्ण सूचना उपलब्ध कराने, भ्रामक या ग़लत सूचना देने के ख़िला़फ भी शिक़ायत दर्ज कराई जा सकती है. सूचना के लिए अधिक फीस मांगने के ख़िला़फ भी आवेदक आयोग में सीधे शिक़ायत दर्ज करा सकता है. उपरोक्त में से कोई भी स्थिति सामने आने पर आवेदक को प्रथम अपील करने की ज़रूरत नहीं होती. आवेदक चाहे तो सीधे सूचना आयोग में अपनी शिक़ायत �
आरटीआई शिकायत
आरटीआई शिकायत
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को एक लोक प्राधिकारी के पास उपलब्ध जानकारी तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं।
शिकायत कब जमा करें
इस अधिनियम के प्रावधान 18 (1) के तहत यह केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है, जैसा भी मामला हो, कि वे एक व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करें और पूछताछ करें।
जो केन्द्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते, जैसा भी मामला हो, इसका कारण कुछ भी हो सकता है कि उक्त अधिकारी या केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्त न किया गया हो जैसा भी मामला हो, ने इस अधिनियम के तहत अग्रेषित करने के लिए कोई सूचना या अपील के लिए उसके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया हो जिसे वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या धारा 19 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास न भेजे या केन्द्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में अग्रेषित न करें, जैसा भी मामला हो।
जिसे इस अधिनियम के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो। ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो।
जिसे शुल्क भुगतान करने की आवश्यकता हो, जिसे वह अनुपयुक्त मानता / मानती है।
जिसे विश्वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है।
इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में।
Present by - RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को एक लोक प्राधिकारी के पास उपलब्ध जानकारी तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं।
शिकायत कब जमा करें
इस अधिनियम के प्रावधान 18 (1) के तहत यह केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है, जैसा भी मामला हो, कि वे एक व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करें और पूछताछ करें।
जो केन्द्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते, जैसा भी मामला हो, इसका कारण कुछ भी हो सकता है कि उक्त अधिकारी या केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्त न किया गया हो जैसा भी मामला हो, ने इस अधिनियम के तहत अग्रेषित करने के लिए कोई सूचना या अपील के लिए उसके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया हो जिसे वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या धारा 19 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास न भेजे या केन्द्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में अग्रेषित न करें, जैसा भी मामला हो।
जिसे इस अधिनियम के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो। ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो।
जिसे शुल्क भुगतान करने की आवश्यकता हो, जिसे वह अनुपयुक्त मानता / मानती है।
जिसे विश्वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है।
इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में।
Present by - RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
आरटीआई की दूसरी अपील
आरटीआई की दूसरी अपील
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना की अभिगम्यता का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी सूचना की अभिगम्यता प्रदान करने से मना किया गया हो तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील / शिकायत दायर कर सकते हैं।
एक अपील कब दर्ज करें
19 (1) कोई व्यक्ति, जिसे उप धारा (1) में अथवा धारा 7 की उप धारा (3) के खण्ड (क) के तहत निर्दिष्ट समय के अंदर निर्णय प्राप्त नहीं होता है अथवा वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से पीडि़त हैं, जैसा भी मामला हो वह उक्त अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के अंदर अथवा यह निर्णय प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर उस अधिकारी के पास एक अपील दर्ज करा सकता है जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ स्तर का है, जैसा भी मामला हो :
बशर्ते कि उक्त अधिकारी द्वारा 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर लेता है, यदि वह इसके प्रति संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से रोकने का पर्याप्त कारण है।
19 (2) जब एक अपील केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसा भी मामला हो, द्वारा धारा 11 के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन किया जाता है तब संबंधित तीसरा पक्ष आदेश की तिथि के 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है।
19 (3) उप धारा 1 के तहत निर्णय के विरुद्ध एक दूसरी अपील तिथि के 90 दिनों के अंदर की जाएगी जब निर्णय किया गया है अथवा इसे केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में वास्तविक रूप से प्राप्त किया गया है:
बशर्ते कि केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपनी दायर कर सकता है, यदि उसे यह संतुष्टि है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील न कर पाने के लिए पर्याप्त कारण हैं।
19 (4) यदि केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का निर्णय, जैसा कि मामला हो, दिया जाता है और इसके विरुद्ध तीसरे पक्ष की सूचना से संबंधित एक अपील की जाती है। तो केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उस तीसरे पक्ष को सुनने का एक पर्याप्त अवसर देंगे।
19 (7) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का निर्णय, जैसा भी मामला हो, मानने के लिए बाध्य होगा।
19 (8) अपने निर्णय में केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को निम्नलिखित का अधिकार होगा।
क) लोक प्राधिकरण द्वारा ये कदम उठाए जाएं जो इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ पालन को सुनिश्चित करें, जिसमें शामिल हैं
सूचना तक पहुंच प्रदान करने के द्वारा, एक विशेष रूप में, यदि ऐसा अनुरोध किया गया है;
केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति द्वारा, जैसा भी मामला हो;
सूचना की कुछ श्रेणियां या कुछ विशिष्ट सूचना के प्रकाशन द्वारा;
अभिलेखों के रखरखाव, प्रबंधन और विनाश के संदर्भ में प्रथाओं में अनिवार्य बदलावों द्वारा
अपने अधिकारियों को सूचना के अधिकार पर प्रशिक्षण के प्रावधान बढ़ाकर;
धारा 4 की उप धारा (1) के खण्ड (ख) का पालन करते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रदान करना;
ख) लोक प्राधिकरण द्वारा किसी क्षति या अन्य उठाई गई हानि के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देना;
ग) इस अधिनियम के तहत प्रदान की गई शास्तियों को अधिरोपित करना;
घ) आवेदन अस्वीकार करना।
19 (9) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो अपील के अधिकार सहित अपने निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकरण को देगा।
19 (10) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो उक्त प्रक्रिया में निर्धारित विधि द्वारा अपील का निर्णय देगा।
By post - RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना की अभिगम्यता का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी सूचना की अभिगम्यता प्रदान करने से मना किया गया हो तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील / शिकायत दायर कर सकते हैं।
एक अपील कब दर्ज करें
19 (1) कोई व्यक्ति, जिसे उप धारा (1) में अथवा धारा 7 की उप धारा (3) के खण्ड (क) के तहत निर्दिष्ट समय के अंदर निर्णय प्राप्त नहीं होता है अथवा वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से पीडि़त हैं, जैसा भी मामला हो वह उक्त अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के अंदर अथवा यह निर्णय प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर उस अधिकारी के पास एक अपील दर्ज करा सकता है जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ स्तर का है, जैसा भी मामला हो :
बशर्ते कि उक्त अधिकारी द्वारा 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर लेता है, यदि वह इसके प्रति संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से रोकने का पर्याप्त कारण है।
19 (2) जब एक अपील केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसा भी मामला हो, द्वारा धारा 11 के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन किया जाता है तब संबंधित तीसरा पक्ष आदेश की तिथि के 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है।
19 (3) उप धारा 1 के तहत निर्णय के विरुद्ध एक दूसरी अपील तिथि के 90 दिनों के अंदर की जाएगी जब निर्णय किया गया है अथवा इसे केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में वास्तविक रूप से प्राप्त किया गया है:
बशर्ते कि केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपनी दायर कर सकता है, यदि उसे यह संतुष्टि है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील न कर पाने के लिए पर्याप्त कारण हैं।
19 (4) यदि केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का निर्णय, जैसा कि मामला हो, दिया जाता है और इसके विरुद्ध तीसरे पक्ष की सूचना से संबंधित एक अपील की जाती है। तो केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उस तीसरे पक्ष को सुनने का एक पर्याप्त अवसर देंगे।
19 (7) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का निर्णय, जैसा भी मामला हो, मानने के लिए बाध्य होगा।
19 (8) अपने निर्णय में केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को निम्नलिखित का अधिकार होगा।
क) लोक प्राधिकरण द्वारा ये कदम उठाए जाएं जो इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ पालन को सुनिश्चित करें, जिसमें शामिल हैं
सूचना तक पहुंच प्रदान करने के द्वारा, एक विशेष रूप में, यदि ऐसा अनुरोध किया गया है;
केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति द्वारा, जैसा भी मामला हो;
सूचना की कुछ श्रेणियां या कुछ विशिष्ट सूचना के प्रकाशन द्वारा;
अभिलेखों के रखरखाव, प्रबंधन और विनाश के संदर्भ में प्रथाओं में अनिवार्य बदलावों द्वारा
अपने अधिकारियों को सूचना के अधिकार पर प्रशिक्षण के प्रावधान बढ़ाकर;
धारा 4 की उप धारा (1) के खण्ड (ख) का पालन करते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रदान करना;
ख) लोक प्राधिकरण द्वारा किसी क्षति या अन्य उठाई गई हानि के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देना;
ग) इस अधिनियम के तहत प्रदान की गई शास्तियों को अधिरोपित करना;
घ) आवेदन अस्वीकार करना।
19 (9) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो अपील के अधिकार सहित अपने निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकरण को देगा।
19 (10) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो उक्त प्रक्रिया में निर्धारित विधि द्वारा अपील का निर्णय देगा।
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सूचना का अधिकार मंच भोपाल सम्भाग के अध्यक्ष अधिवक्ता साथी दीपक गौर नियुक्त
साथियों सूचना का अधिकार मंच भारत की मध्यप्रदेश के भोपाल सम्भाग की भोपाल जिला इकाई में अधिवक्ता नयन शर्मा साहब को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। बधाई।
साथियों सूचना का अधिकार मंच भारत में प्रांतीय संरक्षक मोहम्मद तारिक़ साहब के निर्देश पर भोपाल सम्भाग के अध्यक्ष पद के लिए जिला बार एसोसिएशन में वरिष्ठ अधिवक्ता साथी दीपक गौर साहब को नियुक्त किया जाता है। हार्दिक अभिनन्दन है।
साथियों सूचना का अधिकार मंच भारत में प्रांतीय संरक्षक मोहम्मद तारिक़ साहब के निर्देश पर भोपाल सम्भाग के अध्यक्ष पद के लिए जिला बार एसोसिएशन में वरिष्ठ अधिवक्ता साथी दीपक गौर साहब को नियुक्त किया जाता है। हार्दिक अभिनन्दन है।
रविवार, 31 मई 2015
आर टी आई फोरम में "गिरीश सक्सेना" आगर "जिला अध्यक्ष" नियुक्त
आर टी आई फोरम में "गिरीश सक्सेना" आगर "जिला अध्यक्ष" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की आगर जिला इकाई में पत्रकार, वकील एवं आर टी आई कार्यकर्ता साथी " गिरीश सक्सेना" पिता श्री सुरेश सक्सेना, पता- प्रेमसदन आंबेडकर भवन के पास, छावनी नाका, चौराहा आगर, जिला- आगर(मॉलवा) को "आगर जिला अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
सम्पर्क मोबाइल- 9407428628, 96 44 206675
"गिरीश सक्सेना जी" को आगर "जिला अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
समस्त सदस्य एवं पदाधिकारी गण
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत, शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
31/05/2015
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की इकाई की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए पोर्टल बनाया गया है लिंक दिया गया है...
http://rtiforummp.blogspot.in
![]() |
| "श्री गिरीश सक्सेना" आगर "जिला अध्यक्ष" नियुक्त |
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की आगर जिला इकाई में पत्रकार, वकील एवं आर टी आई कार्यकर्ता साथी " गिरीश सक्सेना" पिता श्री सुरेश सक्सेना, पता- प्रेमसदन आंबेडकर भवन के पास, छावनी नाका, चौराहा आगर, जिला- आगर(मॉलवा) को "आगर जिला अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
सम्पर्क मोबाइल- 9407428628, 96 44 206675
"गिरीश सक्सेना जी" को आगर "जिला अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
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समस्त सदस्य एवं पदाधिकारी गण
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत, शाखा: मध्यप्रदेश
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RTI ACTIVISTS FORUM में "आकाश श्रीवास्तव" कुरवाई "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
"आकाश श्रीवास्तव" कुरवाई "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
![]() |
| "आकाश श्रीवास्तव" कुरवाई "नगर अध्यक्ष" |
सम्पर्क सूत्र +91 81090 32132
Email - akashlala.mb@gmail.com
"आकाश श्रीवास्तव" को कुरवाई "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
समस्त सदस्य एवं पदाधिकारी गण
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
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राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
31/05/2015
RTI ACTIVISTS FORUM के पदाधिकारी गणों की सूची
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की इकाई में वरिष्ठ पत्रकार, आर टी आई कार्यकर्ता और कर्मठ साथी
श्री राम किशोर पंवार जी बैतूल को प्रांतीय उपाध्यक्ष बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां
रामकिशोर पंवार आत्मज श्री दयाराम पंवार
जन्मतीथी- 23 05 1964
92/1 ताप्ती आशीष नागदेव मंदिर के पास
एस बी आई ए टी एम के पीछे मालवीय वार्ड
खंजनपुर बैतूल एम पी
पिन कोड 460001
9993162080
940653572
07141 236122
ramkishorapawar@gmail. com
पत्रिकारिता के क्षेत्र मे 1979 से लगातार
दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली ब्यूरो बैतूल हरदा छिन्दवाडा सिवनी बालाघाट होशंगाबाद
👏👏👏👏�
**********************************
साथी कैलाश गौर, इंदौर प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष (प्रभारी इंदौर, उज्जैन सम्भाग) नियुक्त किये जाते हैं। बधाई।
**********************************
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की इकाई में पत्रकार और सर्घषशील साथी सतीश लमानिया गाडरवारा को गाडरवारा, नगर अध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर हार्दिक बधाई
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श्री राम किशोर पंवार जी बैतूल को प्रांतीय उपाध्यक्ष बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां
रामकिशोर पंवार आत्मज श्री दयाराम पंवार
जन्मतीथी- 23 05 1964
92/1 ताप्ती आशीष नागदेव मंदिर के पास
एस बी आई ए टी एम के पीछे मालवीय वार्ड
खंजनपुर बैतूल एम पी
पिन कोड 460001
9993162080
940653572
07141 236122
ramkishorapawar@gmail. com
पत्रिकारिता के क्षेत्र मे 1979 से लगातार
दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली ब्यूरो बैतूल हरदा छिन्दवाडा सिवनी बालाघाट होशंगाबाद
👏👏👏👏�
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साथी कैलाश गौर, इंदौर प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष (प्रभारी इंदौर, उज्जैन सम्भाग) नियुक्त किये जाते हैं। बधाई।
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RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की इकाई में पत्रकार और सर्घषशील साथी सतीश लमानिया गाडरवारा को गाडरवारा, नगर अध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर हार्दिक बधाई
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साथी मोहन गुर्जर ब्यूरो एल एन स्टार, हरदा जिलाध्यक्ष नियुक्त। बधाई।
**********************************
साथी राम किशोर पंवार वरिष्ठ पत्रकार, बैतूल, प्रांतीय उपाध्यक्ष नियुक्त किये जाते हैं। बधाई। इनका सम्पर्क मो. न. 9406535572
**********************************
साथी भरत सेन वकील एवं वरिष्ठ पत्रकार,
बैतूल जिला अध्यक्ष नियुक्त किये जाते हैं। बधाई।
इनका सम्पर्क मो. न. 9827306273
**********************************
साथी विनय जी डेविड, भोपाल
प्रांतीय महासचिव नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
9893221036
VINAY G. DAVID
(Adhimanya patrakar)
Editor
Times of Crime & toc news
23/ T-7, Goyal Niket, Press Complex, Zone-1, M.P. Nagar, Bhopal (M.P.) 462011
timesofcrime@gmail.com
09893221036
**********************************
साथी राजेन्द्र सिंह राठौर, रतलाम
प्रांतीय उपाध्यक्ष नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
**********************************
साथी प्रकाश टांक अधिवक्ता
संभागीय अध्यक्ष नर्मदापुरम सम्भाग नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
**********************************
साथी राजकुमार चौबे जिलाध्यक्ष नरसिंहपुर नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
**********************************
साथी शशांक मिश्रा जिलाध्यक्ष होशंगाबाद
नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
शशांक मिश्रा सिवनी मालवा जिला होशंगाबाद
मोबाइल न -7828333383, 7828333393
**********************************
साथी मुस्तफा अली कासिम अली
जिलाध्यक्ष शाजापुर नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
**********************************
साथी अब्दुर्रशीद खान जिलाध्यक्ष छतरपुर
नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
**********************************
Sathi Vikash Rathore ko
Dhar jila Adhyaksh niyukt
kiya jata hai. Badhayi
**********************************
साथी ऋषि बाथम
संभागीय अध्यक्ष ग्वालियर संभाग, लश्कर: ग्वालियर नियुक्त किये गए हैं। बधाई।
**********************************
Sathi Basim Khan
ko Forum ka
Khandwa jila Adhyaksh
niyukt kiya jata hai. Badhayi
**********************************
साथी दीपक गौर अधिवक्ता,
भोपाल
जिला अध्यक्ष नियुक्त किये जाते हैं। बधाई।
**********************************
Sathi Akhtar husain
ko indore jila
adhyaksh niyukt kiya gaya hai. Badhayi,
AKHTAR HUSSIAN PATRKAR
NAME - AKHTAR HUSSIAN S/O HASSAN HUSSAIN
DOB - 1-1-74
CELL - 9893064977
EMAIL - akhtarh138@gmail.com
POSTAL ADDRESS -
669, NEW AZAD NAGAR,INDORE (M.P.)
452001
**********************************
साथी सोमनाथ मदान, पांढुर्ना छिंदवाड़ा जिलाध्यक्ष नियुक्। बधाई।
नाम-सोमनाथ मदान
पिता-श्री रामशरणजी मदान
जन्म दिंनाक-09-06-1962
पता
लाभ शुभ कन्फेक्शनरी सेंटर
तार बाजार पांढुरना 480-334
जिला- छिंदवाडा म.प्र.
निवास- मकान नं.256
रानी दुर्गावती वार्ड
पांढुरना 480-334
जिला-छिंदवाडा
फोन कार्यालय 07164-221212
निवास -07164-220467
ईमेल-somnathmadaan@gmail.com
Mob-09300411871
09424918467
**********************************
साथी सोहन काग, बदनावर जिला धार को
संभागीय इकाई इंदौर में सचिव नियुक्त किया जाता है। बधाई।
**********************************
साथी हरदीप छाबड़ा अम्बागढ़ चौकी
जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़ को
जिलाध्यक्ष राजनांदगांव नियुक्त किया जाता है। बधाई।
**********************************
साथी सुनील कटारे अशोकनगर जिला
भिण्ड की जिलाध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। बधाई।य
सुशील कटारे S/O श्री बालकृष्ण कटारे
अटेर रोण अशोक नगर भिण्ड (म.प्र.)
Dis. President
sushilkatare11@gmail.com
Mo. -9425753100
**********************************
साथी अभिषेक शर्मा शिवपुरी जिलाध्यक्ष नियुक्त किये जाते हैं। बधाई।
**********************************
साथी अमित बिल्लोरे जी सोहागपुर एवं
रोहित लोवंशी जी सिवनी मालवा को बहुत बहुत बधाई।
**********************************
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**********************************
**********************************
**********************************
"संजय दुबे" नरसिंहपुर "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
"संजय दुबे" नरसिंहपुर "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की नरसिंहपुर इकाई में पत्रकार और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "संजय दुबे" मुशरान वार्ड, सॉकल रोड, कन्देली, नरसिंहपुर को नरसिंहपुर "नगर अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न. +919752975822
Sanjaydubey.in@gmail.com
"संजय दुबे" को नरसिंहपुर "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की नरसिंहपुर इकाई में पत्रकार और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "संजय दुबे" मुशरान वार्ड, सॉकल रोड, कन्देली, नरसिंहपुर को नरसिंहपुर "नगर अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न. +919752975822
Sanjaydubey.in@gmail.com
"संजय दुबे" को नरसिंहपुर "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
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राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
"पवन चौरिया" को छिन्दवाडा "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की छिन्दवाडा इकाई में पत्रकार साथी "पवन चौरिया" को छिन्दवाडा "नगर अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं.
इनका सम्पर्क मो. न. +917509787587
Add. Shri ram choke gali no.12 vard no. 44 gulabra chhindwara m.p.
Email. pawanchouriya@Gmail.com
"पवन चौरिया" को छिन्दवाडा "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की छिन्दवाडा इकाई में पत्रकार साथी "पवन चौरिया" को छिन्दवाडा "नगर अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं.
इनका सम्पर्क मो. न. +917509787587
Add. Shri ram choke gali no.12 vard no. 44 gulabra chhindwara m.p.
Email. pawanchouriya@Gmail.com
"पवन चौरिया" को छिन्दवाडा "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
RTI में कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए
साथियों चलिए आज से " सूचना का अधिकार कानून 2005 " की कार्यशाला शुरू करते हैं। RTI में कुछ खास बातों का ध्यान बहुत जरूर रखना चाहिए जैसे:-
1): हमारी लड़ाई व्यवस्था से है, व्यक्ति से नहीं। हमें देश से घूसखोरी खत्म करना है और इसे समूल नष्ट करने हेतु हमीं से पहल करनी होगी;
2): कोशिश कीजिये कि अपने क्षेत्र के हर पोस्टऑफिस में सिर्फ ₹150 सालाना में पोस्ट बॉक्स नम्बर मिलता है। अपनी हर RTI में अपने घर या दफ्तर के पते की जगह यही नम्बर उपयोग में लाइए जैसे: सैयद महमूद अली चिश्ती पोस्ट ऑफिस बॉक्स नम्बर:11, हरदा-4611331;
3): कोई आप पर इल्जाम ही न लगा पाये कि आप उसे ब्लैकमेल कर रहे हैं। इसके लिए जरुरी है कि आप अपने आवेदन में केवल अपना ईमेल अड्रेस ही दें मोबाइल नम्बर नहीं;
4): आम तौर पर लोग RTI में बाजार में छापे RTI फॉर्म उपयोग में लेते हैं यह ठीक नहीं हमने अधिनियम की धारा 6(1) और धारा 6(3) को एक ही अप्लिकेशन में लिया है जिससे हम अगर किसी ऐसे जन सूचना अधिकारी को आवेदन दे रहे हैं जिसका हमारे द्वारा चाही जानकारी से सम्बन्ध नहीं है। तब वह हमारे आवेदन को उस लोकसूचना अधिकारी तक हमारे आवेदन को भेज सकेगा जिसका हमारी सूचना से करीब का सम्बन्ध है;
5): किसी कार्यालय में आवेदन प्राप्ति से तीस दिनों के भीतर जानकारी दिया जाना चाहिए।
1): हमारी लड़ाई व्यवस्था से है, व्यक्ति से नहीं। हमें देश से घूसखोरी खत्म करना है और इसे समूल नष्ट करने हेतु हमीं से पहल करनी होगी;
2): कोशिश कीजिये कि अपने क्षेत्र के हर पोस्टऑफिस में सिर्फ ₹150 सालाना में पोस्ट बॉक्स नम्बर मिलता है। अपनी हर RTI में अपने घर या दफ्तर के पते की जगह यही नम्बर उपयोग में लाइए जैसे: सैयद महमूद अली चिश्ती पोस्ट ऑफिस बॉक्स नम्बर:11, हरदा-4611331;
3): कोई आप पर इल्जाम ही न लगा पाये कि आप उसे ब्लैकमेल कर रहे हैं। इसके लिए जरुरी है कि आप अपने आवेदन में केवल अपना ईमेल अड्रेस ही दें मोबाइल नम्बर नहीं;
4): आम तौर पर लोग RTI में बाजार में छापे RTI फॉर्म उपयोग में लेते हैं यह ठीक नहीं हमने अधिनियम की धारा 6(1) और धारा 6(3) को एक ही अप्लिकेशन में लिया है जिससे हम अगर किसी ऐसे जन सूचना अधिकारी को आवेदन दे रहे हैं जिसका हमारे द्वारा चाही जानकारी से सम्बन्ध नहीं है। तब वह हमारे आवेदन को उस लोकसूचना अधिकारी तक हमारे आवेदन को भेज सकेगा जिसका हमारी सूचना से करीब का सम्बन्ध है;
5): किसी कार्यालय में आवेदन प्राप्ति से तीस दिनों के भीतर जानकारी दिया जाना चाहिए।
"सूर्य प्रकाश मिश्रा" रीवा " जिला अध्यक्ष" नियुक्त
"सूर्य प्रकाश मिश्रा" रीवा " जिला अध्यक्ष" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की रीवा इकाई में पत्रकार, अधिवक्ता और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "सूर्य प्रकाश मिश्रा " को रीवा "जिला अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न.
+919893108331
"सूर्य प्रकाश मिश्रा " को रीवा "जिला अध्यक्ष" को बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां... आप सभी मित्र शुभकामनाएं प्रेषित कर सकते हैं...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 9425041700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की रीवा इकाई में पत्रकार, अधिवक्ता और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "सूर्य प्रकाश मिश्रा " को रीवा "जिला अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न.
+919893108331
"सूर्य प्रकाश मिश्रा " को रीवा "जिला अध्यक्ष" को बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां... आप सभी मित्र शुभकामनाएं प्रेषित कर सकते हैं...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 9425041700
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+919893221036
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आरटीआई लिखने का तरीका
सूचना का अधिकार जागरूकता कैम्प आरटीआई लिखने का तरीका -
RTI मलतब सूचना का अधिकार -
ये कानून हमारे देश मे 2005 मे लागू हुआ| जिस का उपयोग कर के आप सरकार और किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है आम तौर पर लोगो को इतना ही पता होता है|परंतु आज मैं आप को इस के बारे मे कुछ ओर रोचक जानकारी देता हूँ -
आरटीआई से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ कर सूचना ले सकते है आरटीआई से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़ की जांच कर सकते है
आरटीआई से आप दस्तावेज़ या Document
की प्रमाणित Copy ले सकते है
आरटीआई से आप सरकारी काम काज
मे इस्तमल सामग्री का नमूना ले सकते है आरटीआई से आप किसी भी कामकाज का निरीक्षण कर सकते है
कुछ लोगो का सवाल मुझे मैसेज मे आया कि आरटीआई मे कौन- कौन सी धारा हमारे काम की है तो उसका जवाब भी मैं यहाँ लिख देता हूँ -
धारा 6 (1) - आरटीआई का application
लिखने का धारा है धारा 6 (3) - अगर आप की application गलत विभाग मे चली गयी है तो गलत विभाग इस को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5
दिन के अंदर भेज देगा धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नही देना होता धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन मे नही आता है तो सूचना फ्री मे दी जाएगी धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब नही देता तो उस की शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना आरटीआई मे नही दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो
धारा 19 (1) - अगर आप
की आरटीआई का जवाब 30 दिन मे नही आता है तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील
अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते
हो
धारा 19 (3) - अगर आप की प्रथम
अपील
का भी जवाब नही आता है तो आप
इस
धारा की मदद से 90 दिन के अंदर 2nd
अपील
अधिकारी को अपील कर सकते हो
अब किसी ने पूछा था कि आरटीआई
कैसे लिखे
-
इस के लिए आप एक साधा पेपर ले और उस मे1 इंच
की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए
गए प्रारूप मे
अपने आरटीआई लिख ले
.............................................
.............................
.............................................
.............................
सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और
6(3) के अंतर्गत आवेदन
सेवा मे
(अधिकारी का पद)/ जन सूचना अधिकारी
विभाग का नाम
विषय - आरटीआई act 2005 के
अंतर्गत ...............
... से संबधित सूचनाए
1- अपने सवाल यहाँ लिखे
2-
3
4
मैं आवेदन फीस के रूपमें 10रूका पोस्टल
ऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /
रही हूं।
या
मैं बी.पी.एल. कार्ड
धारी हूं इसलिए सभी देय
शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.
कार्ड
नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/
कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,
2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए
मेरा आवेदन सम्बंधित लोक
सूचना अधिकारी को पांच दिनों के
समयाविध् के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ
ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील
अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
भवदीय
नाम:
पता:
फोन नं:
.............................................
.............................
.............................................
.............................
ये सब लिखने के बाद अपने Sign कर दे
अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10
रुदेते है और एक पेपर की कॉपी मांगने
के 2 रुदेते है
और हर राज्य का आरटीआई शुल्क अगल अलग
है
जिस का पता आप कर सकते हैं ।
RTI मलतब सूचना का अधिकार -
ये कानून हमारे देश मे 2005 मे लागू हुआ| जिस का उपयोग कर के आप सरकार और किसी भी विभाग से सूचना मांग सकते है आम तौर पर लोगो को इतना ही पता होता है|परंतु आज मैं आप को इस के बारे मे कुछ ओर रोचक जानकारी देता हूँ -
आरटीआई से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ कर सूचना ले सकते है आरटीआई से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज़ की जांच कर सकते है
आरटीआई से आप दस्तावेज़ या Document
की प्रमाणित Copy ले सकते है
आरटीआई से आप सरकारी काम काज
मे इस्तमल सामग्री का नमूना ले सकते है आरटीआई से आप किसी भी कामकाज का निरीक्षण कर सकते है
कुछ लोगो का सवाल मुझे मैसेज मे आया कि आरटीआई मे कौन- कौन सी धारा हमारे काम की है तो उसका जवाब भी मैं यहाँ लिख देता हूँ -
धारा 6 (1) - आरटीआई का application
लिखने का धारा है धारा 6 (3) - अगर आप की application गलत विभाग मे चली गयी है तो गलत विभाग इस को 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग मे 5
दिन के अंदर भेज देगा धारा 7(5) - इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नही देना होता धारा 7 (6) - इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन मे नही आता है तो सूचना फ्री मे दी जाएगी धारा 18 - अगर कोई अधिकारी जवाब नही देता तो उस की शिकायत सूचना अधिकारी को दी जाए धारा 8 - इस के अनुसार वो सूचना आरटीआई मे नही दी जाएगी जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हो या विभाग की आंतरिक जांच को प्रभावित करती हो
धारा 19 (1) - अगर आप
की आरटीआई का जवाब 30 दिन मे नही आता है तो इस
धारा के अनुसार आप प्रथम अपील
अधिकारी को प्रथम अपील कर सकते
हो
धारा 19 (3) - अगर आप की प्रथम
अपील
का भी जवाब नही आता है तो आप
इस
धारा की मदद से 90 दिन के अंदर 2nd
अपील
अधिकारी को अपील कर सकते हो
अब किसी ने पूछा था कि आरटीआई
कैसे लिखे
-
इस के लिए आप एक साधा पेपर ले और उस मे1 इंच
की कोने से जगह छोड़े और नीचे दिए
गए प्रारूप मे
अपने आरटीआई लिख ले
.............................................
.............................
.............................................
.............................
सूचना का अधिकार 2005 की धारा 6(1) और
6(3) के अंतर्गत आवेदन
सेवा मे
(अधिकारी का पद)/ जन सूचना अधिकारी
विभाग का नाम
विषय - आरटीआई act 2005 के
अंतर्गत ...............
... से संबधित सूचनाए
1- अपने सवाल यहाँ लिखे
2-
3
4
मैं आवेदन फीस के रूपमें 10रूका पोस्टल
ऑर्डर ........ संख्या अलग से जमा कर रहा /
रही हूं।
या
मैं बी.पी.एल. कार्ड
धारी हूं इसलिए सभी देय
शुल्कों से मुक्त हूं। मेरा बी.पी.एल.
कार्ड
नं..............है।
यदि मांगी गई सूचना आपके विभाग/
कार्यालय से सम्बंधित
नहीं हो तो सूचना का अधिकार अधिनियम,
2005 की धारा 6 (3) का संज्ञान लेते हुए
मेरा आवेदन सम्बंधित लोक
सूचना अधिकारी को पांच दिनों के
समयाविध् के अन्तर्गत हस्तान्तरित करें। साथ
ही अधिनियम के प्रावधानों के तहत
सूचना उपलब्ध् कराते समय प्रथम अपील
अधिकारी का नाम व पता अवश्य बतायें।
भवदीय
नाम:
पता:
फोन नं:
.............................................
.............................
.............................................
.............................
ये सब लिखने के बाद अपने Sign कर दे
अब मित्रो केंद्र से सूचना मांगने के लिए आप 10
रुदेते है और एक पेपर की कॉपी मांगने
के 2 रुदेते है
और हर राज्य का आरटीआई शुल्क अगल अलग
है
जिस का पता आप कर सकते हैं ।
"माखन विजयवर्गीय" राजगढ " प्रांतीय सचिव" नियुक्त
"माखन विजयवर्गीय" राजगढ " प्रांतीय सचिव" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की प्रदेश इकाई में पत्रकार और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "श्री माखन विजयवर्गीय" राजगढ को "प्रांतीय सचिव" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न.
+9193000 10003
"श्री माखन विजयवर्गीय" राजगढ " प्रांतीय सचिव" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां... आप सभी मित्र शुभकामनाएं प्रेषित कर सकते हैं...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 9425041700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की प्रदेश इकाई में पत्रकार और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "श्री माखन विजयवर्गीय" राजगढ को "प्रांतीय सचिव" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न.
+9193000 10003
"श्री माखन विजयवर्गीय" राजगढ " प्रांतीय सचिव" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां... आप सभी मित्र शुभकामनाएं प्रेषित कर सकते हैं...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 9425041700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
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राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
"देवेन्द्र साहू" गंजबासौदा "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
"देवेन्द्र साहू" गंजबासौदा "नगर अध्यक्ष" नियुक्त
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की गंजबासौदा इकाई में पत्रकार एवं आर टी आई कार्यकर्ता साथी "देवेन्द्र कुमार साहू" जिला गंजबासौदा म.प्र. को "गंजबासौदा" "नगर अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
सम्पर्क सूत्र +91 88781 63447
Email - dev1sahu111@gmail. com
"देवेन्द्र कुमार साहू" को गंजबासौदा "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:
सैयद महमूद अली चिश्ती,प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 94250 41700
विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+9198932 21036
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राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
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सम्पर्क सूत्र +91 88781 63447
Email - dev1sahu111@gmail. com
"देवेन्द्र कुमार साहू" को गंजबासौदा "नगर अध्यक्ष" बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां...
💐💐💐💐💐
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