RTI ACTIVISTS FORUM M.P.

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शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

कालेधन को सफेद करने के अपनाये जा रहे नये-नये तरीके

अवधेश पुरोहित // TOC NEWS

भोपाल . मोदी सरकार ने मंगलवार को पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया हो लेकिन लोगों ने अपने जुगाड़ों से नये-नये तरीके खोजना शुरू कर दिये, लोगों ने नोटों को बदलने के लिये दिये जा रहे पचास दिन के समयसीमा से जहाँ मदद मिल रही है वहीं शहरों में इन नोटों के प्रचलन बंद के दिन से ही सराफा, हवाला, जनधन और मंदिरों में दान करने जैसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जहाँ लोगों ने आठ नवम्बर को घोषणा होने के बाद सोने-चाँदी की बेहिसाब खरीदी कर अपने काले धन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया तो वहीं इसके चलते लोगों ने सोने के अनाप-शनाप भाव से जेवर खरीदे।

यही नहीं कई संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को अग्रिम वेतन तक का भुगतान कर अपने कालेधन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया, पैसा बदलने वाले कुछ लोग गरीबी रेखा के नीचे बीपीएल के जनधन बीमा खातों के उपयोग के लिए उन्हें इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं तो कारोबारी विभिन्न चिटफण्ड खातों की इस तरह से सरकारी रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं कि जन-धन योजना के तहत खाते रखने वाले एक समूह को चिन्हित कर कारोबारियों ने अपना पैसा सभी खातों में बांटने का तरीका अपना लिया। यही नहीं तो वही लोगों ने संयुक्त परिवारों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया जिसके तहतविभिन्न बैंक खातों में थोड़ी-थोड़ी राशि रखने से बड़ी राशि बंट जाती है

जिससे ज्यादा से ज्यादा रुपये जमा किये जाने का रास्ता लोगों ने निकाल लिया, सरकार ने भी घोषणा कर दी कि गृहणियों की कम जाँच-पड़ताल की जाएगी, इसका लाभ उठाने में भी लोग लग गए, यही नहीं कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए लोगों ने मंदिरों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया और अपने ५०० और एक हजार के नोटों को १०० रुपये के नोटों में बदल रहे हैं, जैसे कि खबरें सुर्खियों में रहीं उसके तहत भोपाल स्टेशन की यह खबर भी थी कि वहां की तिजोरी से रातोंरात १०० रुपए के नोट बदल गए और उनका स्थान ५०० और एक हजार के नोटों ने ले लिया और वहीं कालेधन के कारोबारी इन दिनों मंदिरों और उनके ट्रस्टों में जमा ५०० और एक हजार रुपए के नोटों को १०० रुपए में बदलने का रास्ता निकाल रहे हैं, बहुत से लोगों ने मंदिरों के प्रबंधकों को विश्वास में लेकर अपना अघोषित धन मंदिरों को दान करने का तरीका निकाला है और ऐसे अज्ञात दानदाताओं के रूप में पावती बनाने का सिलसिला भी जोरों पर चल रहा है।

इस अवैध व्यवस्था में देश से बाहर भेजने के लिए एजेंटों, बिचौलियों का इस्तेमाल भी इन दिनों जोरों पर है, तो वहीं इस तरह के कारोबारियों की निगाहें स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) और सराफों को मनी लांड्रिंग का जरिया बना लिया है कई जगहों पर खुदरा दुकानदार भी नोट बदलने के केन्द्र बन गये हैं, वह पाँच सौ के नोटों के बदले चार सौ रुपए दे रहे हैं तो वहीं प्रदेश में पाँच सौ और एक हजार के नोटों के बदले २० फीसदी रुपये देने का कारोबार भी प्रचलन में आ गया है जिन लोगों के पास भारी मात्रा में ऐसे नोट हैं वह इसे खपाने के लिये नये-नये तरीके अपनाने में लगे हुए हैं

देखना अब यह है कि नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय के बाद जहां देश में बड़े नोटों का चलन ८६ प्रतिशत है ऐसे में इनके बंद किये जाने के बाद इस रकम में से कितनी रकम वापस आती है, सरकार की निगाहें इसी पर लगी हुई है तो इन दिनों देशभर के आयकर और बिक्रीकर विभाग के अधिकारी भी सक्रिय नजर दिखाई दे रहे हैं और वह आठ नवम्बर को पाँच सौ और एक हजार रुपऐ के  नोट बंद होने की घोषणा के बाद देश और प्रदेश में चली धड़ाधड़ बिक्री वाले केन्द्रों से उनके सीसीटीवी कैमरों के फुटेज मांगे जा रहे हैं तो वहीं राज्य के राजनेता भी जिनके पास आकूत सम्पत्ति इस भाजपा शासनकाल के दौरान जमा हुई है

ऐसे राजनेताओं के साथ-साथ अधिकारियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, तो वहीं विगत कुछ वर्षों में पति से करोड़पति बने लोगों के भी बारे में खोज-खबर ली जा रही है, सरकार की इन सब गतिविधियों को देखकर यह लग रहा है कि आने वाले समय में कई भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-साथ कई ऐसे जनप्रतिनिधियों के बारे में भी खोज खबर ली जा रही है जिनके पास नोट गिनने की मशीने होने की पिछले दिनों खबर सुर्खियों में रही है,

सरकार की इस तरह की गतिविधियों के बीच जहां सरकार कालेधन के कारोबारियों पर निगाहें जमाये बैठी है तो वहीं इन कारोबारियों के द्वारा अपनाई जा रही नई नई नीतियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, कुल मिलाकर इन दिनों राज्य के मंत्रालय से लेकर राजनैतिक माहौल में भी ५०० और एक हजार के नोट बंद होने के बाद खामोशी छाई हुई है और लोग चुपचाप अपने कालेधन को ठिकाने के नये-नये तरीके खोजने में लगे हैं तो वहीं ऐसे कारोबारियों की काली रकम को लगाने के लिये भी कई उनके हमदर्द भी हमदर्दी दिखाते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लोग कालेधन के पुजारियों को फोन कर उन्हें काला धन निकालने का सलाह मशवरा देते दिखाई दे रहे हैं।

सुचना का अधिकार की धज्जियां उड़ाते मुख्यवन संरक्षक बिलासपुरव्रत के जनसूचना अधिकारी द्वारा

RTI News

प्रदेश सरकार एक ओर राज्य सुचना आयोग के उच्चाधिकारी की नियुक्ति अटका के रखे हैं ,वही प्रदेश में राज्य शासन के जनसूचना अधिकारी पेशी की तारीख तो दे देते लेकिन खुद उपस्थित नही रहते ।

ऐसा ही बिलासपुर मुख्यवनसंरक्षक के जनसूचना अधिकारी जायसवाल जी के द्वारा आज गैर जिम्मेदाराना कार्य किया पेशी के समय कार्यलय में ही नही थे और फोन लगाने के बाद भी जब उन्होंने फोन नही उठाया तो पेशी कर्ता ने उनके आफिस वर्क में अपना साइन कर लिख दिया की जनसूचना अधिकारी खुद अनुपस्थित है जब खबर की जानकारी के लिए मुख्यवन संरक्षक बिलासपुर व्रुत्त के अधिकारी से मिलने की कोशिश की गई लेकिन उनसे भी मुलाकात नही हो सकी ।

ऐसा पहला वाक्य नही हैं प्रदेश के जनसूचना अधिकारी पहले भी इस प्रकार के कार्य करते आये हैं लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री जी को प्रदेश के दूसरे कार्यो से फुर्सत ही नही हैं तभी तो ऐसे अधिकारियो के हौसले बुलंद हैं नही तो पेशी के समय खुद जनसूचना अधिकारी अनुपस्थित रहना अपने कर्तव्यो के प्रति गम्भीर लापरवाही है ऐसे अधकारी को तुरंत राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा तुरन्त निलंबित किया जा सकता हैं लेकिन इस प्रदेश में ऐसा कुछ भी नही होने वाला ।
*गोविन्द शर्मा (पत्रकार )*

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

सूचना का अधिकार : 24 बार किया सूचना देने से इनकार, 2.29 लाख रुपए का दंड



RTI News

बेंगलुरु। एक सरकारी अधिकारी ने अलग-अलग मामलों में लगातार 24 बार सूचना देने से इनकार कर दिया। ऐसा करने के लिए सरकारी अधिकारी पर 2.29 लाख रुपए का दंड लगाया गया है। चौंकाने वाली बात तो ये है कि इस अधिकारी ने 1.45 लाख रुपए का भुगतान किया मगर सूचना देने से इनकार कर दिया।

अधिकारी ने नहीं दी सूचना, देता रहा आयोग को मात

सूचना के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए कर्नाटक सूचना आयोग ने आरोपी अधिकारी डी हेमंत के खिलाफ आरटीआई एक्ट के सेक्शन 22 के अंतर्गत कार्रवाई करने का फैसला लिया है। डी हेंमत ने बार-बार अपनी चतुराई से सूचना आयोग को मात देने की कोशिश की। कनार्टक सूचना आयोग 2009 से हेमंत के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहा है। इतने सालों में डी हेमंत एक बार भी आयोग के सामने प्रस्तुत नहीं हुआ। हेमंत की मुश्किल तब शुरू हुई जब वो बु्रहत बेंगलुरु महानगर पालिका में डेप्युटेशन पर सहायक कार्यकारी अभियंता के रूप में नियुक्त हुआ।

24 बार आरटीआई का उल्लंघन कर चुका है हेमंत

हेमंत एक जनसूचना अधिकारी होने बावजूद कई आवेदकों की ओर से मांगी गई जानकारी देने में असमर्थ रहा। इस साल 22 मार्च को जब हेमंत के खिलाफ एक और ऐसा मामला दर्ज हुआ तो राज्य सूचना आयुक्त एल कृष्णामूर्ति ने उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इस बार हेमंत ने लागारे के रहने वाले टी के रेनुकप्पा को जानकारी देने से इनकार कर दिया। जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि पहले भी अधिकारी सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन कर चुका है।

पीडब्लयूडी कोर्ट में 19 अक्टूबर को होगी सुनवाई

इस मामले में सूचना आयोग ने शहरी विकास मंत्रालय को लिखा तो पता चला कि हेमंत वापस अपने पुराने विभाग पीडब्लयूडी में जा चुका है। इस समय हेमंत एईई विभाग में काम कर रहा है। जांच के दौरान सूचना आयोग को पता चला कि सूचना के अधिकार कानून का पालन ना करने के लिए हेमंत पर 2.29 का दंड लग चुका है। इसमें से हेमंत ने करीब 1.45 रुपए का दंड भर दिया है मगर सूचना नहीं दी। इस मामले में अब सूचना आयोग ने पीडब्ल्यूडी के प्रिंसिपल सेकेट्री एल लक्ष्मीनारायन से हेमंत के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने को कहा है। पीडब्ल्यूडी कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।

रविवार, 18 सितंबर 2016

राज्य सूचना आयोग ने बदला परिवहन आयुक्त का फैसला

 Toc ( rti )  News
अपीलार्थी को पंद्रह दिवस में देना होगी नि:शुल्क जानकारी
शिवपुरी। प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का सरकारी कार्यालयों में किस तरह दुरुपयोग हो रहा हैं इसका जीता जागता उदाहरण तब सामने आया जब अपीलार्थी विजय शर्मा बिंदास ने एक अपील दिनांक 7/8/15 को उपपरिवहन आयुक्त ग्वालियर में लगाई गई। जिसमें विजय शर्मा ने जुलाई 2015 को एक परिवहन आयुक्त कार्यालय ग्वालियर से जानकारी मांगी थी की परिवहन विभाग ने अप्रैल 2014 से मार्च 2015 तक स्मार्ट चिप लिमिटेड को कितना भुगतान किया है एवं इस अवधि में उक्त कंपनी के बिलों की छायाप्रति मांगी थी जिनके एवज में भुगतान किया गया है। लेकिन परिवहन उप आयुक्त ने 30 दिवस के अंदर इस कार्यालय के द्वारा अपीलार्थी को किसी भी प्रकार का पत्र नहीं दिया गया जिसके पश्चात अपीलार्थी ने अपीलीय प्रक्रिया को बढ़ाते हुए 20/8/15 को प्रथम अपीलीय अधिकारी परिवहन आयुक्त को प्रेषित की।

यहां भी परिवहन आयुक्त विभाग ने अपनी हीलाहवाली के चलते अपीलार्थी को कोई भी जानकारी दिलवाना सुनिश्चित नहीं किया जो उन्हें 45 दिवस के अंदर अपीलार्थी को प्रदान करना थी, लेकिन 45 दिवस पश्चात 7/10/15 को परिवहन आयुक्त ने पत्र क्रमांक 5017 अपीलार्थी को भेजा जिसमें लोक सूचना अधिकारी अपर परिवहन आयुक्त मप्र ने कोई जबाब नहीं दिया तब परिवहन आयुक्त के समक्ष प्रथम अपील की गयी जिस बिना सुनवाई के फैसला सुनाते हुए उपरोक्त वर्णित कारण बताते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया। जिसके पश्चात अपीलार्थी ने राज्य सूचना आयोग को दूसरी अपील की और तर्क दिया की मप्र शासन के राजपत्र दिनांक 05 दिसंबर 2013 के अनुसार मध्य प्रदेश शासन और स्मार्ट चिप लिमिटिड के मध्य एक बृहद सेवा अनुबंध हुआ है जिसके अनुसार ये कंपनी विभाग को जो भी सेवा उपलब्ध कराएगी उसका भुगतान जनता से वसूल किया जायेगा तो फिर उक्त भुगतान के सम्बन्ध में जानकारी जनता को प्रदान करने में संकोच क्यों और इसे वाणिज्यिक अनुबंध बताया जाना सवर्था गलत है।

जिसकी सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप के द्वारा 1/8/16 को की गई जिसमें अपीलार्थी तो उपस्थित हुआ, लेकिन जवाब प्रस्तुत करने के लिए परिवहन आयुक्त कार्यालय से कोई भी सदस्य उपस्थित नहीं हो सका। जिसके चलते सूचना आयुक्त ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की और अपीलार्थी को पंद्रह दिवस में जानकारी उपलब्ध कराने के परिवहन आयुक्त को निर्देश दिए तथा राज्य सूचना आयोग भोपाल ने परिवहन आयुक्त ग्वालियर के उस फैसले को पलट दिया जिसमे परिवहन आयुक्त ने यह कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया था कि जानकारी देने से प्राइवेट कंपनी और मध्यप्रदेश शासन के वाणिज्यिक हित प्रभावित होंगे। विदित हो कि करोड़ो रूपए का घोटाला छुपाने की दृष्टि से परिवहन आयुक्त ने प्राइवेट कंपनी स्मार्ट चिप को किये जाने वाले भुगतान की जानकारी देने से इंकार किया था। यह पूरा मामला परिवहन विभाग में स्मार्ट चिप लिमिटिड, जो कि एक प्राइवेट कंपनी है जिस पर विभाग के समस्त कार्यो के कंप्यूटरीकरण करने का ठेका है को अधिक दरों पर ठेका दे कर सेकड़ो करोडों रूपए के भ्रष्टाचार का है जिसमे परिवहन विभाग के समस्त आला अफसर सम्मिलित है इसी मामले को दबाने के लिए जानकारी देने से इंकार किया गया था इस पूरे मामले की शिकायत विजय शर्मा पूर्व में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह और परिवहन आयुक्त इत्यादि सभी जगह कर चुके है।

अपीलार्थी को 15 दिवस में नि:शुल्क प्रदान करना होगा जानकारी
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ने 1 अगस्त 16 को सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहने के चलते अपीलीय अधिकारी व लोक सूचना अधिकारी परिवहन आयुक्त ग्वालियर को फटकार लगाने के साथ राज्य सूचना आयोग को जानकारी न देने की अलग वजह और आवेदक को अलग वजह बताने पर भ्रामक जानकारी देने पर भी परिवहन आयुक्त के प्रति नाराजगी व्यक्त की साथ ही कहा कि अपीलार्थी को पंद्रह दिवस के अंदर उक्त चाही गई जानकारी नि:शुल्क प्रदान की जाए एवं इस जानकारी से राज्य सूचना आयोग को भी अवगत कराया जाए।

मंगलवार, 23 जून 2015

आरटीआई - सात अफसरों पर 25-25 हजार का जुर्माना

लखनऊ. राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने आरटीआई एक्ट का उल्लंघन करने वाले सात अफसरों पर 25 - 25 हजार रुपये का जर्माना लगाया है। साथ ही चार मामलों में उच्चाधिकारियों को जांच के आदेश दिए हैं। जिन अफसरों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें संभल के सीएमओ. विद्युत वितरण खंड के अधिशासी अभियंता, जिला पंचायत अधिकारी, कानपुर के क्षेत्रीय दुग्ध विकास अधिकारी, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के निदेशक और उप्र फुटबाल संघ के सचिव प्रमुख हैं।

शनिवार, 13 जून 2015

आइसना एवं RTI फोरम संगठन का संभागीय अधिवेसन 26 जून को खुजराहो में

Toc News @ khujraho

26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् (आइसना) ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन

पर्यटन नगरी खजुराहो में 26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् (आइसना) ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन किया जा रहा है. जिसमें आप सबकी उपस्थिति सादर बंदनीय है इस कार्यक्रम में पर्यटन नगरी खजुराहो में 26 जून 2015 को RTI राष्ट्रीय स्तरीय फोरम संगठन व् ऑल इण्डिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन का संभागीय अधिवेसन किया जा रहा है. जिसमें आप सबकी उपस्थिति सादर बंदनीय है इस कार्यक्रम में
1.सूचना का अधिकार के नियम में आवश्यक संशोधन करवाये जाने के बारे में विचार किया जाना है।
2. पत्रकार्ता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जानी है
3. इस कार्यक्रम में पत्रकारिता जगत में अपनी कलम का लोहा मनवा चुके नामचीन पत्रकारों का सम्मान किया जाना होगा.
4. सुचना का अधिकार के RTI के सम्बन्ध में नागरिको को जागृत करने वाले व् राजनेतिक क्षेत्र से जनता की लड़ाई लड़ने वाले राजनेता व् बुंदेलखंड के बिकास के सम्बन्ध में कार्य करने वाले समाज सेबियो व अधिकारीओ का भी सम्मान किया जाना हे इस कार्यक्रम में दिल्ली भोपाल सतना सागर से न्यूज़ चैनल व् न्यूज़ पेपर से नामचीन पत्रकार पधार रहे है. इनके आलावा खजुराहो के लोकप्रिय सांसद नागेन्द्र सिंह जी फ़िल्म एक्टर राजा बुन्देला जी संभागीय कमिश्नर आर के माथुर जी जिले डीएम मसूद अख्तर जी एस पी ललित सक्वार् जी विधायक विक्रम जी नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना सिंह जी नगर परिषद अध्यक्ष महारानी कविता सिंह जी भाजपा की युबा पहचान पुष्पेन्द्र सिंह गुड्डू राजा जी डिप्टी कलेक्टर एसडीऍम एसडीओपी तहसीलदार टीआई CIO Cmo Sdo को अमंत्रित किया गया है.

कार्यक्रम स्थल यूथ हॉस्टल खजुराहो समय सुबह 10 से साम 6 तक  कार्यक्रम के अयोजक देवेन्द्र चतुर्वेदी सम्भागीय अध्यक्ष RTI एवं जिला अध्यक्ष ऑल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर संगठन व् सांसद मिडिया प्रभारी खजुराहो व विनय जी डेविड RTI व् "आल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोशिएशन" के प्रदेश महासचिव का भी सम्मान किया जाना है

शुक्रवार, 12 जून 2015

फर्म्स एवं सोसायटी विभाग में आरटीआई नियम लागू नहीं

Bhopal @ Vinay David


भोपाल। प्रदेश स्थित फर्म्स एवं संस्थाएं विभाग में सूचना के अधिकार के तहत अपने नियम बनाकर राष्ट्रीय नियमों को दरकिनार करके 10 गुना अधिक फीस सूचना मांगने वालों से वसूली जाती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश वाणिज्य विभाग के अंतर्गत आने वाले उक्त विभाग रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं द्वारा आरटीआई के तहत आने वाले आवेदनों को 10 गुन अधिक यानी 20रू. एवं 40 रू प्रति काॅपी के हिसाब जानकारी देने के लिये, लिखकर बकायदा मांगे जाते हैं, आर टी आई कार्यकर्ताों ने एतराज करते हुये, कहा कि मप्र का उक्त विभाग पूरे देश नियमों से कैसे अलग हो सकता है।

पूरे देश में सूचना के अधिकार के तहत 2 रूपये प्रति पेज जानकारी के हिसाब से लिये जाने का नियम हैं, जबकि म.प्र. उक्त विभाग ने अपने मनमाने नियम थोपकर उन्हें जोड़तोड़ से प्रकाशित कर सूचना अधिकार को हतोत्साहित करने के लिये अलग नियम बना लिये हैं और आश्चर्य की बात यह है कि म.प्र. सरकार और केन्द्र सरकार को कई बार शिकायतें होने के बाद भी उक्त विभाग द्वारा 10 गुना वसूली जारी है।

इससे आरटीआई मांगने वाले लोगों में भारी असंतोष है, केन्द्रीय और राज्य सूचना आयोग आरटीआई कार्यकर्ताओं के राष्ट्रीय संगठन RTI ACTIVISTS FORUM  ने मांग की है कि जनहित में 10 गुना अधिक पैसे लेने के नियम को तुरंत खत्म किया जाये और इस नियम को बनाने की कार्यवाही की जाये।

आरोप, प्रत्यारोप, शिकायतें एवं समाचार कृपया इस ईमेल timesofcrime@gmail.com पर भेजें। यदि आप अपना नाम गोपनीय रखना चाहते हैं तो कृपया स्पष्ट उल्लेख करें। आप हमें 9893221036 पर whatsapp भी कर सकते हैं। अपनी प्रतिक्रियाएं कृपया नीचे दर्ज करें।


आरटीआई एक्टिविस्ट्स फोरम इंडिया यूनिट मध्यप्रदेश में हर सम्भाग और जिला में इकाइयों का गठन किया जाना है। गैर राजनैतिक साथी आमन्त्रित हैं। प्लीज हमसे संपर्क कीजिये।

विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)