अवधेश पुरोहित // TOC NEWS
भोपाल . मोदी सरकार ने मंगलवार को पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया हो लेकिन लोगों ने अपने जुगाड़ों से नये-नये तरीके खोजना शुरू कर दिये, लोगों ने नोटों को बदलने के लिये दिये जा रहे पचास दिन के समयसीमा से जहाँ मदद मिल रही है वहीं शहरों में इन नोटों के प्रचलन बंद के दिन से ही सराफा, हवाला, जनधन और मंदिरों में दान करने जैसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जहाँ लोगों ने आठ नवम्बर को घोषणा होने के बाद सोने-चाँदी की बेहिसाब खरीदी कर अपने काले धन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया तो वहीं इसके चलते लोगों ने सोने के अनाप-शनाप भाव से जेवर खरीदे।
यही नहीं कई संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को अग्रिम वेतन तक का भुगतान कर अपने कालेधन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया, पैसा बदलने वाले कुछ लोग गरीबी रेखा के नीचे बीपीएल के जनधन बीमा खातों के उपयोग के लिए उन्हें इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं तो कारोबारी विभिन्न चिटफण्ड खातों की इस तरह से सरकारी रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं कि जन-धन योजना के तहत खाते रखने वाले एक समूह को चिन्हित कर कारोबारियों ने अपना पैसा सभी खातों में बांटने का तरीका अपना लिया। यही नहीं तो वही लोगों ने संयुक्त परिवारों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया जिसके तहतविभिन्न बैंक खातों में थोड़ी-थोड़ी राशि रखने से बड़ी राशि बंट जाती है
जिससे ज्यादा से ज्यादा रुपये जमा किये जाने का रास्ता लोगों ने निकाल लिया, सरकार ने भी घोषणा कर दी कि गृहणियों की कम जाँच-पड़ताल की जाएगी, इसका लाभ उठाने में भी लोग लग गए, यही नहीं कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए लोगों ने मंदिरों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया और अपने ५०० और एक हजार के नोटों को १०० रुपये के नोटों में बदल रहे हैं, जैसे कि खबरें सुर्खियों में रहीं उसके तहत भोपाल स्टेशन की यह खबर भी थी कि वहां की तिजोरी से रातोंरात १०० रुपए के नोट बदल गए और उनका स्थान ५०० और एक हजार के नोटों ने ले लिया और वहीं कालेधन के कारोबारी इन दिनों मंदिरों और उनके ट्रस्टों में जमा ५०० और एक हजार रुपए के नोटों को १०० रुपए में बदलने का रास्ता निकाल रहे हैं, बहुत से लोगों ने मंदिरों के प्रबंधकों को विश्वास में लेकर अपना अघोषित धन मंदिरों को दान करने का तरीका निकाला है और ऐसे अज्ञात दानदाताओं के रूप में पावती बनाने का सिलसिला भी जोरों पर चल रहा है।
इस अवैध व्यवस्था में देश से बाहर भेजने के लिए एजेंटों, बिचौलियों का इस्तेमाल भी इन दिनों जोरों पर है, तो वहीं इस तरह के कारोबारियों की निगाहें स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) और सराफों को मनी लांड्रिंग का जरिया बना लिया है कई जगहों पर खुदरा दुकानदार भी नोट बदलने के केन्द्र बन गये हैं, वह पाँच सौ के नोटों के बदले चार सौ रुपए दे रहे हैं तो वहीं प्रदेश में पाँच सौ और एक हजार के नोटों के बदले २० फीसदी रुपये देने का कारोबार भी प्रचलन में आ गया है जिन लोगों के पास भारी मात्रा में ऐसे नोट हैं वह इसे खपाने के लिये नये-नये तरीके अपनाने में लगे हुए हैं
देखना अब यह है कि नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय के बाद जहां देश में बड़े नोटों का चलन ८६ प्रतिशत है ऐसे में इनके बंद किये जाने के बाद इस रकम में से कितनी रकम वापस आती है, सरकार की निगाहें इसी पर लगी हुई है तो इन दिनों देशभर के आयकर और बिक्रीकर विभाग के अधिकारी भी सक्रिय नजर दिखाई दे रहे हैं और वह आठ नवम्बर को पाँच सौ और एक हजार रुपऐ के नोट बंद होने की घोषणा के बाद देश और प्रदेश में चली धड़ाधड़ बिक्री वाले केन्द्रों से उनके सीसीटीवी कैमरों के फुटेज मांगे जा रहे हैं तो वहीं राज्य के राजनेता भी जिनके पास आकूत सम्पत्ति इस भाजपा शासनकाल के दौरान जमा हुई है
ऐसे राजनेताओं के साथ-साथ अधिकारियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, तो वहीं विगत कुछ वर्षों में पति से करोड़पति बने लोगों के भी बारे में खोज-खबर ली जा रही है, सरकार की इन सब गतिविधियों को देखकर यह लग रहा है कि आने वाले समय में कई भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-साथ कई ऐसे जनप्रतिनिधियों के बारे में भी खोज खबर ली जा रही है जिनके पास नोट गिनने की मशीने होने की पिछले दिनों खबर सुर्खियों में रही है,
सरकार की इस तरह की गतिविधियों के बीच जहां सरकार कालेधन के कारोबारियों पर निगाहें जमाये बैठी है तो वहीं इन कारोबारियों के द्वारा अपनाई जा रही नई नई नीतियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, कुल मिलाकर इन दिनों राज्य के मंत्रालय से लेकर राजनैतिक माहौल में भी ५०० और एक हजार के नोट बंद होने के बाद खामोशी छाई हुई है और लोग चुपचाप अपने कालेधन को ठिकाने के नये-नये तरीके खोजने में लगे हैं तो वहीं ऐसे कारोबारियों की काली रकम को लगाने के लिये भी कई उनके हमदर्द भी हमदर्दी दिखाते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लोग कालेधन के पुजारियों को फोन कर उन्हें काला धन निकालने का सलाह मशवरा देते दिखाई दे रहे हैं।
भोपाल . मोदी सरकार ने मंगलवार को पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया हो लेकिन लोगों ने अपने जुगाड़ों से नये-नये तरीके खोजना शुरू कर दिये, लोगों ने नोटों को बदलने के लिये दिये जा रहे पचास दिन के समयसीमा से जहाँ मदद मिल रही है वहीं शहरों में इन नोटों के प्रचलन बंद के दिन से ही सराफा, हवाला, जनधन और मंदिरों में दान करने जैसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जहाँ लोगों ने आठ नवम्बर को घोषणा होने के बाद सोने-चाँदी की बेहिसाब खरीदी कर अपने काले धन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया तो वहीं इसके चलते लोगों ने सोने के अनाप-शनाप भाव से जेवर खरीदे।
यही नहीं कई संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को अग्रिम वेतन तक का भुगतान कर अपने कालेधन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया, पैसा बदलने वाले कुछ लोग गरीबी रेखा के नीचे बीपीएल के जनधन बीमा खातों के उपयोग के लिए उन्हें इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं तो कारोबारी विभिन्न चिटफण्ड खातों की इस तरह से सरकारी रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं कि जन-धन योजना के तहत खाते रखने वाले एक समूह को चिन्हित कर कारोबारियों ने अपना पैसा सभी खातों में बांटने का तरीका अपना लिया। यही नहीं तो वही लोगों ने संयुक्त परिवारों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया जिसके तहतविभिन्न बैंक खातों में थोड़ी-थोड़ी राशि रखने से बड़ी राशि बंट जाती है
जिससे ज्यादा से ज्यादा रुपये जमा किये जाने का रास्ता लोगों ने निकाल लिया, सरकार ने भी घोषणा कर दी कि गृहणियों की कम जाँच-पड़ताल की जाएगी, इसका लाभ उठाने में भी लोग लग गए, यही नहीं कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए लोगों ने मंदिरों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया और अपने ५०० और एक हजार के नोटों को १०० रुपये के नोटों में बदल रहे हैं, जैसे कि खबरें सुर्खियों में रहीं उसके तहत भोपाल स्टेशन की यह खबर भी थी कि वहां की तिजोरी से रातोंरात १०० रुपए के नोट बदल गए और उनका स्थान ५०० और एक हजार के नोटों ने ले लिया और वहीं कालेधन के कारोबारी इन दिनों मंदिरों और उनके ट्रस्टों में जमा ५०० और एक हजार रुपए के नोटों को १०० रुपए में बदलने का रास्ता निकाल रहे हैं, बहुत से लोगों ने मंदिरों के प्रबंधकों को विश्वास में लेकर अपना अघोषित धन मंदिरों को दान करने का तरीका निकाला है और ऐसे अज्ञात दानदाताओं के रूप में पावती बनाने का सिलसिला भी जोरों पर चल रहा है।
इस अवैध व्यवस्था में देश से बाहर भेजने के लिए एजेंटों, बिचौलियों का इस्तेमाल भी इन दिनों जोरों पर है, तो वहीं इस तरह के कारोबारियों की निगाहें स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) और सराफों को मनी लांड्रिंग का जरिया बना लिया है कई जगहों पर खुदरा दुकानदार भी नोट बदलने के केन्द्र बन गये हैं, वह पाँच सौ के नोटों के बदले चार सौ रुपए दे रहे हैं तो वहीं प्रदेश में पाँच सौ और एक हजार के नोटों के बदले २० फीसदी रुपये देने का कारोबार भी प्रचलन में आ गया है जिन लोगों के पास भारी मात्रा में ऐसे नोट हैं वह इसे खपाने के लिये नये-नये तरीके अपनाने में लगे हुए हैं
देखना अब यह है कि नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय के बाद जहां देश में बड़े नोटों का चलन ८६ प्रतिशत है ऐसे में इनके बंद किये जाने के बाद इस रकम में से कितनी रकम वापस आती है, सरकार की निगाहें इसी पर लगी हुई है तो इन दिनों देशभर के आयकर और बिक्रीकर विभाग के अधिकारी भी सक्रिय नजर दिखाई दे रहे हैं और वह आठ नवम्बर को पाँच सौ और एक हजार रुपऐ के नोट बंद होने की घोषणा के बाद देश और प्रदेश में चली धड़ाधड़ बिक्री वाले केन्द्रों से उनके सीसीटीवी कैमरों के फुटेज मांगे जा रहे हैं तो वहीं राज्य के राजनेता भी जिनके पास आकूत सम्पत्ति इस भाजपा शासनकाल के दौरान जमा हुई है
ऐसे राजनेताओं के साथ-साथ अधिकारियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, तो वहीं विगत कुछ वर्षों में पति से करोड़पति बने लोगों के भी बारे में खोज-खबर ली जा रही है, सरकार की इन सब गतिविधियों को देखकर यह लग रहा है कि आने वाले समय में कई भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-साथ कई ऐसे जनप्रतिनिधियों के बारे में भी खोज खबर ली जा रही है जिनके पास नोट गिनने की मशीने होने की पिछले दिनों खबर सुर्खियों में रही है,
सरकार की इस तरह की गतिविधियों के बीच जहां सरकार कालेधन के कारोबारियों पर निगाहें जमाये बैठी है तो वहीं इन कारोबारियों के द्वारा अपनाई जा रही नई नई नीतियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, कुल मिलाकर इन दिनों राज्य के मंत्रालय से लेकर राजनैतिक माहौल में भी ५०० और एक हजार के नोट बंद होने के बाद खामोशी छाई हुई है और लोग चुपचाप अपने कालेधन को ठिकाने के नये-नये तरीके खोजने में लगे हैं तो वहीं ऐसे कारोबारियों की काली रकम को लगाने के लिये भी कई उनके हमदर्द भी हमदर्दी दिखाते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लोग कालेधन के पुजारियों को फोन कर उन्हें काला धन निकालने का सलाह मशवरा देते दिखाई दे रहे हैं।