RTI ACTIVISTS FORUM M.P.

RTI ACTIVISTS FORUM M.P.

गुरुवार, 18 नवंबर 2021

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय सूचना का अधिकार अधिनियम 2006

  

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय सूचना का अधिकार अधिनियम 2006


*मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय सूचना का अधिकार अधिनियम 2006*

अधिसूचना संख्या 15-आर (जे), दिनांक 19-1-2006, म.प्र. राजपत्र भाग 4 (गा), दिनांक 17-2-2006 के पृष्ठ 161-166 mp694

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 28 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सक्षम प्राधिकारी), इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं: -

*1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ।*

- (1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (सूचना का अधिकार) नियम, 2006 है। (2) वे आधिकारिक राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।

*2. परिभाषाएँ।*

- (1) इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:- (ए) "अधिनियम" का अर्थ सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (2005 की संख्या 22) है; (बी) "अपील प्राधिकरण" का अर्थ है मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित; (सी) "अधिकृत व्यक्ति" का अर्थ है मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित जन सूचना अधिकारी और सहायक जन सूचना अधिकारी; (डी) "फॉर्म" का मतलब इन नियमों से जुड़ा फॉर्म है; (ई) "धारा" का अर्थ अधिनियम का एक खंड है।
(2) इन नियमों में प्रयुक्त लेकिन परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ होगा जो उन्हें अधिनियम में दिया गया है।

*3. सूचना मांगने के लिए आवेदन।*

- अधिनियम के तहत जानकारी मांगने वाला कोई भी व्यक्ति अधिकृत व्यक्ति को फॉर्म 'ए' में आवेदन करेगा और अधिकृत व्यक्ति के पास नियम 8 के अनुसार आवेदन शुल्क जमा करेगा। प्राधिकृत व्यक्ति फॉर्म 'बी' में दिए गए अनुसार आवेदन को विधिवत स्वीकार करेगा।

*4. प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा आवेदन का निपटान*।

- (1) यदि अनुरोधित जानकारी अधिकृत व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है, तो यह आवेदक को आवेदन पत्र को फॉर्म 'सी' में जल्द से जल्द, सामान्य रूप से पंद्रह दिनों के भीतर और किसी भी मामले में बाद में नहीं लौटाने का आदेश देगा। आवेदन की प्राप्ति की तारीख से तीस दिन, आवेदक को सूचित करना। जहां भी संभव हो, संबंधित प्राधिकारी के बारे में जिसे: आवेदन किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जमा किया गया आवेदन शुल्क वापस नहीं किया जाएगा। (2) यदि अनुरोधित जानकारी अधिकृत व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में आती है और अधिनियम की धारा 8 और 9 में सूचीबद्ध प्रतिबंधों की एक या अधिक श्रेणियों में आती है, तो अधिकृत व्यक्ति संतुष्ट होने पर फॉर्म 'डी' में अस्वीकृति आदेश जारी करेगा। ' जितनी जल्दी हो सके, आम तौर पर पंद्रह दिनों के भीतर और किसी भी मामले में आवेदन प्राप्त होने की तारीख से तीस दिनों के बाद नहीं। ऐसे मामलों में जमा किया गया आवेदन शुल्क वापस नहीं किया जाएगा। (3) यदि अनुरोधित जानकारी अधिकृत व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन अधिनियम की धारा 8 और 9 में सूचीबद्ध एक या अधिक श्रेणियों में नहीं आती है, तो अधिकृत व्यक्ति, संतुष्ट होने पर, आवेदक को फॉर्म में जानकारी की आपूर्ति करेगा। 'ई', अपने अधिकार क्षेत्र में आता है। यदि मांगी गई जानकारी आंशिक रूप से अधिकृत व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है या आंशिक रूप से अधिनियम की धारा 8 और 9 में सूचीबद्ध श्रेणियों में आती है, तो अधिकृत व्यक्ति केवल वही जानकारी प्रदान करेगा जो अधिनियम के तहत अनुमत है और अपने अधिकार क्षेत्र में है और शेष भाग को कारण बताते हुए अस्वीकृत करें। (4) सूचना की आपूर्ति यथाशीघ्र, सामान्यतया पंद्रह दिनों के भीतर और किसी भी स्थिति में आवेदन प्राप्त होने की तारीख से तीस दिनों के भीतर, शेष राशि, यदि कोई हो, को अधिकृत व्यक्ति को जमा करने पर की जाएगी, जानकारी एकत्र करने से पहले। फॉर्म 'एफ' में सूचना की प्राप्ति के टोकन के रूप में आवेदक से एक उचित 'पावती' प्राप्त की जाएगी।

*5. अपील।*
- (1) कोई भी व्यक्ति:- (ए) जो फॉर्म 'ए' जमा करने के तीस दिनों के भीतर अधिकृत व्यक्ति से फॉर्म 'सी' या फॉर्म 'डी' में प्रतिक्रिया देने में विफल रहता है, या (बी) निर्धारित अवधि के भीतर प्राप्त प्रतिक्रिया से व्यथित है, अपीलीय प्राधिकारी के पास प्रपत्र 'एफ' में अपील और अपीलीय प्राधिकारी के पास नियम 8 के अनुसार अपील के लिए शुल्क जमा करता है। (2) अपील प्राप्त होने पर, अपील प्राधिकारी अपील की प्राप्ति की पावती देगा और आवेदक को सुनवाई का अवसर देने के बाद इसे प्रस्तुत करने की तारीख से तीस दिनों के भीतर निपटाने का प्रयास करेगा और इसकी एक प्रति भेजेगा संबंधित अधिकृत व्यक्ति को निर्णय। (3) यदि अपील की अनुमति दी जाती है, तो अपील प्राधिकारी द्वारा आदेशित अवधि के भीतर अधिकृत व्यक्ति द्वारा आवेदक को जानकारी प्रदान की जाएगी। यह अवधि आदेश प्राप्त होने की तिथि से तीस दिनों से अधिक नहीं होगी।

*6. लोक प्राधिकरण द्वारा सूचना का स्वत: प्रकाशन।*

- (1) लोक प्राधिकरण अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा (1) के अनुसार प्रत्येक वर्ष उप-धारा ( 1) अधिनियम की धारा 4 के। (2) ऐसी सूचना सूचना काउंटरों, इंटरनेट के माध्यम से भी जनता को उपलब्ध करायी जा सकती है और प्राधिकृत व्यक्ति और अपीलीय प्राधिकारी के कार्यालय में विशिष्ट स्थानों पर नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जा सकती है।

*7. शुल्क लगाना।*

- (1) प्राधिकृत व्यक्ति निम्नलिखित दरों पर शुल्क वसूल करेगा, अर्थात्:- (ए) आवेदन शुल्क :

(i) निविदाओं से संबंधित जानकारी दस्तावेज़/बोली/उद्धरण/व्यवसाय संपर्क : पांच सौ रुपए प्रति आवेदन। (ii) उपरोक्त (i) के अलावा अन्य जानकारी पचास रुपये प्रति आवेदन (बी) अन्य शुल्क: क्र.सं. जानकारी का विवरण कीमत/शुल्क रुपये में 1 जहां जानकारी उपलब्ध है एक मूल्य प्रकाशन का रूप। प्रकाशन की कीमत इतनी तय। 2 मूल्य प्रकाशन के अलावा अन्य के लिए। माध्यम की लागत या प्रिंट लागत मूल्य। (2) अपीलीय प्राधिकारी प्रति अपील पचास रुपए का शुल्क वसूल करेगा।

सोमवार, 6 जुलाई 2020

दुल्हन की डोली उठने से पहले उठी अर्थी, ब्यूटी पार्लर के अंदर घुस कर, धारदार हथियार से कर डाली दुल्हन की हत्या

IMG-20200706-WA0022 copy
सनकी प्रेमी ने शादी के कूछ घंटो पहले कर दी दुल्हन की हत्या
TOC NEWS @ www.tocnews.org
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
  • सनकी प्रेमी ने शादी के कूछ घंटो पहले कर दी दुल्हन की हत्या
  • दुल्हन की डोली उठने से पहले उठी अर्थी
  • ब्यूटी पार्लर में घुसकर रेत दिया दुल्हन का गला

तीन साल पहले विवाह समारोह में हुई थी मुलाकात, युवती की शादी से नाराज होकर पागल प्रेमी ने वारदात को दिया अंजाम।

एक तरफा प्यार के चक्कर में रतलाम के एक पागल प्रेमी ने शादी के कुछ घंटो पहले दुल्हन का गला रेत कर हत्या कर दी। रविवार को ब्यूटी पार्लर में घुसकर सिरफिरे आशिक ने दुल्हन का गला रेत डाला । दुल्हन की मौके पर ही मौत हो गई । रतलाम एसपी गौरव तिवारी ने तत्काल सिरफिरे आशिक के एक साथी धर दबोचा । जिससे हत्यारे आशिक के बारे में पुलिस जानकारी निकाल पाई।
सनकी प्रेमी ने शादी के कूछ घंटो पहले कर दी दुल्हन की हत्या
सनकी प्रेमी ने शादी के कूछ घंटो पहले कर दी दुल्हन की हत्या
जावरा शहर के ब्यूटी पार्लर में मेकअप करवाने पहुंची सोनू पिता कमल सिंह यादव निवासी शाजापुर की गला रेत कर  सिरफिरे आशिक ने हत्या कर दी। जावरा पुलिस के अनुसार सोनू अपनी बहन के साथ ब्यूटी पार्लर में मेकअप करवाने  पहुंची थी। सरफिरे आशिक  ने फोन लगाकर सोनू को बाहर बुलाया। कुछ देर चर्चा के बाद सोनू वापस ब्यूटी पार्लर के अंदर चली गई। जिसके बाद युवक अंदर घुसा और उसने सोनू का गला रेत दिया ।
हत्या के बाद आरोपी आशिक मौके से फरार हो गया। रतलाम एसपी गौरव तिवारी ने कार्रवाई करते हुए कुछ ही घंटों के अंतराल में मुख्य आरोपी के साथी पवन को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में पवन ने बताया कि वह राम उर्फ रामा के साथ बाइक पर ब्यूटी पार्लर गया था। उसके फोन से ही राम यादव ने सोनू को बाहर बुलाया था। 
ratlam_murde Crazy lover murdered bride before marriage ANI NEWS 01
सनकी प्रेमी ने शादी के पहले कर दी दुल्हन की हत्या
हत्यारे की जानकारी सामने आते ही पुलिस हरकत में आई और उसकी तलाश में पुलिस टीम राजस्थान भेजी गई है। पुलिस सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी रतलाम भारतीय जनता युवा मोर्चा  का मंत्री बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है।
जावरा पुलिस ने बताया कि सोनू मूल रूप से शाजापुर की रहने वाली है। उसकी उज्जैन जिले के नागदा तहसील में रहने वाले गौरव जैन से रविवार को एक रिसोर्ट में शादी होने वाली थी। वह अपनी बहन के साथ मेकअप करवाने के लिए ब्यूटी पार्लर आई थी। इसी दौरान उसकी राम यादव ने गला रेत कर हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार आरोपी और सोनू की मुलाकात शाजापुर में एक विवाह समारोह में हुई थी। जिसके बाद से वह सोनू से एक तरफा प्यार करता था। पुलिस को शंका है कि सोनू की शादी की जानकारी मिलने के बाद ही उसने हत्या की योजना बनाई होगी।
ratlam_murde Crazy lover murdered bride before marriage ANI NEWS 03
इस दुल्हन की डोली उठने से पहले उठी अर्थी
शाजापुर निवासी सोनू की हत्या के पहले आरोपी ने अपने दोस्त पवन के मोबाइल से उसे फोन लगाया था। उस समय वह ब्यूटी पार्लर में मेकअप करवाने के लिए पहुंची थी। ब्यूटी पार्लर के बाहर कुछ देर बात करने के बाद जब सोनू अंदर गई तो राम ने अंदर घुसकर चाकू से सोनू का गला रेत दिया था। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद पुलिस ने जब दुल्हन सोनू के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली तो आखरी कॉल पवन के मोबाइल से आना सामने आया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पवन को हिरासत में ले लिया।

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

आइसना का सम्मेलन में हुई पत्रकारों पर बढ़ती चुनोतियो को लेकर चर्चा

Image may contain: 18 people, people smiling, people sitting and people standing

आइसना AISNA का सम्मेलन में हुई पत्रकारों पर बढ़ती चुनोतियो को लेकर चर्चा, जिला स्तरीय पत्रकार सम्मेलन
नरसिंहपुर। आॅल इंडिया स्मॉल न्यूज पेपर एसोसिएशन (आइसना) द्वारा नारोलिया भवन मे आयोजित पत्रकार सम्मेलन व सम्मान समारोह मे प्रदेश के जाने-माने पत्रकारों ने शिरकत करते हुए पत्रकारिता की चुनौतियों, विसंगतियों व समस्याओं को रेखांकित कर जिले मे विगत 15 वर्ष व इससे अधिक समय से कार्यरत मीडिया कर्मियों का सम्मान किया।
आइसना के जिलाध्यक्ष मंजीत छावड़ा के संयोजन मे आयोजित उक्त गरिमामय कार्यक्रम मे आइसना प्रदेशाध्यक्ष विनोद मिश्रा आइसना प्रदेश संरक्षक नन्दकुमार चौहान
सहित वरिष्ठ पत्रकार व संपादकों मे विनय डेबिड, शंभुनारायण शर्मा, तपेश्वर जी, दिनेश साहू, अनिल सेन, प्रशांत विश्वे आदि मौजूद रहे। इस मौके पर संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विनोद मिश्रा ने पत्रकारिता के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान दौर मे व्याप्त कठिनाईयों को भी उल्लेखित किया।
वरिष्ठ पत्रकार विनय डेबिड ने पत्रकारिता क्षेत्र की समस्याओं के निदान हेतु पत्रकारों की एकता पर बल दिया। अन्य अतिथियों भी अपने विचार रखते हुए उपस्थित पत्रकारों से संवाद स्थापित करते हुए उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। द्वितीय सत्र मे जिले की प्रिंट मीडिया मे लंबे समय से अपनी सक्रिय सेवायें दे रहे पत्रकारों का सम्मान किया गया।
जिनमें नरसिंहपुर से वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र श्रीवास्तव, नीलेश जाट, दीपक श्रीवास्तव, वारिज बाजपेयी, अमर नौरिया, सलामत खान, समीर खान, मनीष साहू, गाडरवारा से प्रहलाद कौरव एवं जबलपुर से आयशा खान, जुवैद शेख, वीरेंद्र सिंह, अंकित मिश्रा आदि को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि डॉ. विवेक सक्सेना एवं आभार प्रदर्शन मंजीत छावड़ा द्वारा किया गया। 
Image may contain: 7 people, people smiling, people standing and indoor
कलम के जादूगर वरिष्ठ पत्रकार बारिश बाजपेयी जी को बिगत दिवस "ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन" (आइसना) के आयोजन 20 जनवरी 2018 को के द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया आपको संगठन की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां
Image may contain: 7 people, people smiling, people standing
Image may contain: 11 people, people smiling, people standing
Image may contain: 14 people, people smiling
Image may contain: 4 people, people sitting
Image may contain: 5 people, people smiling, people standing
Image may contain: 3 people, people standing
Image may contain: 2 people
Image may contain: 8 people, people smiling, people standing and outdoor
Image may contain: 10 people, people sitting
Image may contain: 4 people, people standing and food
Image may contain: 15 people, people smiling, people sitting
Image may contain: 4 people, people standing and food
Image may contain: 5 people, people standing
Image may contain: 14 people, people smiling, people sitting and indoor
Image may contain: 3 people, people standing and stripes
Image may contain: 1 person, standing, sky and outdoor
No automatic alt text available.
Image may contain: one or more people and text
Image may contain: 4 people, people smiling, people sitting
Image may contain: 1 person, smiling, phone and indoor
Image may contain: 5 people, people sitting and indoor
Image may contain: 18 people, people smiling, indoor
Image may contain: 5 people, people smiling, people sitting
नरसिंहपुर. आॅल इंडिया स्मॉल न्यूज पेपर एसोसिएशन (आइसना )

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

कालेधन को सफेद करने के अपनाये जा रहे नये-नये तरीके

अवधेश पुरोहित // TOC NEWS

भोपाल . मोदी सरकार ने मंगलवार को पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया हो लेकिन लोगों ने अपने जुगाड़ों से नये-नये तरीके खोजना शुरू कर दिये, लोगों ने नोटों को बदलने के लिये दिये जा रहे पचास दिन के समयसीमा से जहाँ मदद मिल रही है वहीं शहरों में इन नोटों के प्रचलन बंद के दिन से ही सराफा, हवाला, जनधन और मंदिरों में दान करने जैसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जहाँ लोगों ने आठ नवम्बर को घोषणा होने के बाद सोने-चाँदी की बेहिसाब खरीदी कर अपने काले धन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया तो वहीं इसके चलते लोगों ने सोने के अनाप-शनाप भाव से जेवर खरीदे।

यही नहीं कई संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को अग्रिम वेतन तक का भुगतान कर अपने कालेधन को ठिकाने लगाने का तरीका अपनाया, पैसा बदलने वाले कुछ लोग गरीबी रेखा के नीचे बीपीएल के जनधन बीमा खातों के उपयोग के लिए उन्हें इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं तो कारोबारी विभिन्न चिटफण्ड खातों की इस तरह से सरकारी रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं कि जन-धन योजना के तहत खाते रखने वाले एक समूह को चिन्हित कर कारोबारियों ने अपना पैसा सभी खातों में बांटने का तरीका अपना लिया। यही नहीं तो वही लोगों ने संयुक्त परिवारों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया जिसके तहतविभिन्न बैंक खातों में थोड़ी-थोड़ी राशि रखने से बड़ी राशि बंट जाती है

जिससे ज्यादा से ज्यादा रुपये जमा किये जाने का रास्ता लोगों ने निकाल लिया, सरकार ने भी घोषणा कर दी कि गृहणियों की कम जाँच-पड़ताल की जाएगी, इसका लाभ उठाने में भी लोग लग गए, यही नहीं कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए लोगों ने मंदिरों का भी सहारा लेना शुरू कर दिया और अपने ५०० और एक हजार के नोटों को १०० रुपये के नोटों में बदल रहे हैं, जैसे कि खबरें सुर्खियों में रहीं उसके तहत भोपाल स्टेशन की यह खबर भी थी कि वहां की तिजोरी से रातोंरात १०० रुपए के नोट बदल गए और उनका स्थान ५०० और एक हजार के नोटों ने ले लिया और वहीं कालेधन के कारोबारी इन दिनों मंदिरों और उनके ट्रस्टों में जमा ५०० और एक हजार रुपए के नोटों को १०० रुपए में बदलने का रास्ता निकाल रहे हैं, बहुत से लोगों ने मंदिरों के प्रबंधकों को विश्वास में लेकर अपना अघोषित धन मंदिरों को दान करने का तरीका निकाला है और ऐसे अज्ञात दानदाताओं के रूप में पावती बनाने का सिलसिला भी जोरों पर चल रहा है।

इस अवैध व्यवस्था में देश से बाहर भेजने के लिए एजेंटों, बिचौलियों का इस्तेमाल भी इन दिनों जोरों पर है, तो वहीं इस तरह के कारोबारियों की निगाहें स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) और सराफों को मनी लांड्रिंग का जरिया बना लिया है कई जगहों पर खुदरा दुकानदार भी नोट बदलने के केन्द्र बन गये हैं, वह पाँच सौ के नोटों के बदले चार सौ रुपए दे रहे हैं तो वहीं प्रदेश में पाँच सौ और एक हजार के नोटों के बदले २० फीसदी रुपये देने का कारोबार भी प्रचलन में आ गया है जिन लोगों के पास भारी मात्रा में ऐसे नोट हैं वह इसे खपाने के लिये नये-नये तरीके अपनाने में लगे हुए हैं

देखना अब यह है कि नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय के बाद जहां देश में बड़े नोटों का चलन ८६ प्रतिशत है ऐसे में इनके बंद किये जाने के बाद इस रकम में से कितनी रकम वापस आती है, सरकार की निगाहें इसी पर लगी हुई है तो इन दिनों देशभर के आयकर और बिक्रीकर विभाग के अधिकारी भी सक्रिय नजर दिखाई दे रहे हैं और वह आठ नवम्बर को पाँच सौ और एक हजार रुपऐ के  नोट बंद होने की घोषणा के बाद देश और प्रदेश में चली धड़ाधड़ बिक्री वाले केन्द्रों से उनके सीसीटीवी कैमरों के फुटेज मांगे जा रहे हैं तो वहीं राज्य के राजनेता भी जिनके पास आकूत सम्पत्ति इस भाजपा शासनकाल के दौरान जमा हुई है

ऐसे राजनेताओं के साथ-साथ अधिकारियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, तो वहीं विगत कुछ वर्षों में पति से करोड़पति बने लोगों के भी बारे में खोज-खबर ली जा रही है, सरकार की इन सब गतिविधियों को देखकर यह लग रहा है कि आने वाले समय में कई भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-साथ कई ऐसे जनप्रतिनिधियों के बारे में भी खोज खबर ली जा रही है जिनके पास नोट गिनने की मशीने होने की पिछले दिनों खबर सुर्खियों में रही है,

सरकार की इस तरह की गतिविधियों के बीच जहां सरकार कालेधन के कारोबारियों पर निगाहें जमाये बैठी है तो वहीं इन कारोबारियों के द्वारा अपनाई जा रही नई नई नीतियों पर भी आयकर विभाग की नजर है, कुल मिलाकर इन दिनों राज्य के मंत्रालय से लेकर राजनैतिक माहौल में भी ५०० और एक हजार के नोट बंद होने के बाद खामोशी छाई हुई है और लोग चुपचाप अपने कालेधन को ठिकाने के नये-नये तरीके खोजने में लगे हैं तो वहीं ऐसे कारोबारियों की काली रकम को लगाने के लिये भी कई उनके हमदर्द भी हमदर्दी दिखाते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लोग कालेधन के पुजारियों को फोन कर उन्हें काला धन निकालने का सलाह मशवरा देते दिखाई दे रहे हैं।

सुचना का अधिकार की धज्जियां उड़ाते मुख्यवन संरक्षक बिलासपुरव्रत के जनसूचना अधिकारी द्वारा

RTI News

प्रदेश सरकार एक ओर राज्य सुचना आयोग के उच्चाधिकारी की नियुक्ति अटका के रखे हैं ,वही प्रदेश में राज्य शासन के जनसूचना अधिकारी पेशी की तारीख तो दे देते लेकिन खुद उपस्थित नही रहते ।

ऐसा ही बिलासपुर मुख्यवनसंरक्षक के जनसूचना अधिकारी जायसवाल जी के द्वारा आज गैर जिम्मेदाराना कार्य किया पेशी के समय कार्यलय में ही नही थे और फोन लगाने के बाद भी जब उन्होंने फोन नही उठाया तो पेशी कर्ता ने उनके आफिस वर्क में अपना साइन कर लिख दिया की जनसूचना अधिकारी खुद अनुपस्थित है जब खबर की जानकारी के लिए मुख्यवन संरक्षक बिलासपुर व्रुत्त के अधिकारी से मिलने की कोशिश की गई लेकिन उनसे भी मुलाकात नही हो सकी ।

ऐसा पहला वाक्य नही हैं प्रदेश के जनसूचना अधिकारी पहले भी इस प्रकार के कार्य करते आये हैं लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री जी को प्रदेश के दूसरे कार्यो से फुर्सत ही नही हैं तभी तो ऐसे अधिकारियो के हौसले बुलंद हैं नही तो पेशी के समय खुद जनसूचना अधिकारी अनुपस्थित रहना अपने कर्तव्यो के प्रति गम्भीर लापरवाही है ऐसे अधकारी को तुरंत राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा तुरन्त निलंबित किया जा सकता हैं लेकिन इस प्रदेश में ऐसा कुछ भी नही होने वाला ।
*गोविन्द शर्मा (पत्रकार )*

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

सूचना का अधिकार : 24 बार किया सूचना देने से इनकार, 2.29 लाख रुपए का दंड



RTI News

बेंगलुरु। एक सरकारी अधिकारी ने अलग-अलग मामलों में लगातार 24 बार सूचना देने से इनकार कर दिया। ऐसा करने के लिए सरकारी अधिकारी पर 2.29 लाख रुपए का दंड लगाया गया है। चौंकाने वाली बात तो ये है कि इस अधिकारी ने 1.45 लाख रुपए का भुगतान किया मगर सूचना देने से इनकार कर दिया।

अधिकारी ने नहीं दी सूचना, देता रहा आयोग को मात

सूचना के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए कर्नाटक सूचना आयोग ने आरोपी अधिकारी डी हेमंत के खिलाफ आरटीआई एक्ट के सेक्शन 22 के अंतर्गत कार्रवाई करने का फैसला लिया है। डी हेंमत ने बार-बार अपनी चतुराई से सूचना आयोग को मात देने की कोशिश की। कनार्टक सूचना आयोग 2009 से हेमंत के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहा है। इतने सालों में डी हेमंत एक बार भी आयोग के सामने प्रस्तुत नहीं हुआ। हेमंत की मुश्किल तब शुरू हुई जब वो बु्रहत बेंगलुरु महानगर पालिका में डेप्युटेशन पर सहायक कार्यकारी अभियंता के रूप में नियुक्त हुआ।

24 बार आरटीआई का उल्लंघन कर चुका है हेमंत

हेमंत एक जनसूचना अधिकारी होने बावजूद कई आवेदकों की ओर से मांगी गई जानकारी देने में असमर्थ रहा। इस साल 22 मार्च को जब हेमंत के खिलाफ एक और ऐसा मामला दर्ज हुआ तो राज्य सूचना आयुक्त एल कृष्णामूर्ति ने उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इस बार हेमंत ने लागारे के रहने वाले टी के रेनुकप्पा को जानकारी देने से इनकार कर दिया। जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि पहले भी अधिकारी सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन कर चुका है।

पीडब्लयूडी कोर्ट में 19 अक्टूबर को होगी सुनवाई

इस मामले में सूचना आयोग ने शहरी विकास मंत्रालय को लिखा तो पता चला कि हेमंत वापस अपने पुराने विभाग पीडब्लयूडी में जा चुका है। इस समय हेमंत एईई विभाग में काम कर रहा है। जांच के दौरान सूचना आयोग को पता चला कि सूचना के अधिकार कानून का पालन ना करने के लिए हेमंत पर 2.29 का दंड लग चुका है। इसमें से हेमंत ने करीब 1.45 रुपए का दंड भर दिया है मगर सूचना नहीं दी। इस मामले में अब सूचना आयोग ने पीडब्ल्यूडी के प्रिंसिपल सेकेट्री एल लक्ष्मीनारायन से हेमंत के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने को कहा है। पीडब्ल्यूडी कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।

रविवार, 18 सितंबर 2016

राज्य सूचना आयोग ने बदला परिवहन आयुक्त का फैसला

 Toc ( rti )  News
अपीलार्थी को पंद्रह दिवस में देना होगी नि:शुल्क जानकारी
शिवपुरी। प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का सरकारी कार्यालयों में किस तरह दुरुपयोग हो रहा हैं इसका जीता जागता उदाहरण तब सामने आया जब अपीलार्थी विजय शर्मा बिंदास ने एक अपील दिनांक 7/8/15 को उपपरिवहन आयुक्त ग्वालियर में लगाई गई। जिसमें विजय शर्मा ने जुलाई 2015 को एक परिवहन आयुक्त कार्यालय ग्वालियर से जानकारी मांगी थी की परिवहन विभाग ने अप्रैल 2014 से मार्च 2015 तक स्मार्ट चिप लिमिटेड को कितना भुगतान किया है एवं इस अवधि में उक्त कंपनी के बिलों की छायाप्रति मांगी थी जिनके एवज में भुगतान किया गया है। लेकिन परिवहन उप आयुक्त ने 30 दिवस के अंदर इस कार्यालय के द्वारा अपीलार्थी को किसी भी प्रकार का पत्र नहीं दिया गया जिसके पश्चात अपीलार्थी ने अपीलीय प्रक्रिया को बढ़ाते हुए 20/8/15 को प्रथम अपीलीय अधिकारी परिवहन आयुक्त को प्रेषित की।

यहां भी परिवहन आयुक्त विभाग ने अपनी हीलाहवाली के चलते अपीलार्थी को कोई भी जानकारी दिलवाना सुनिश्चित नहीं किया जो उन्हें 45 दिवस के अंदर अपीलार्थी को प्रदान करना थी, लेकिन 45 दिवस पश्चात 7/10/15 को परिवहन आयुक्त ने पत्र क्रमांक 5017 अपीलार्थी को भेजा जिसमें लोक सूचना अधिकारी अपर परिवहन आयुक्त मप्र ने कोई जबाब नहीं दिया तब परिवहन आयुक्त के समक्ष प्रथम अपील की गयी जिस बिना सुनवाई के फैसला सुनाते हुए उपरोक्त वर्णित कारण बताते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया। जिसके पश्चात अपीलार्थी ने राज्य सूचना आयोग को दूसरी अपील की और तर्क दिया की मप्र शासन के राजपत्र दिनांक 05 दिसंबर 2013 के अनुसार मध्य प्रदेश शासन और स्मार्ट चिप लिमिटिड के मध्य एक बृहद सेवा अनुबंध हुआ है जिसके अनुसार ये कंपनी विभाग को जो भी सेवा उपलब्ध कराएगी उसका भुगतान जनता से वसूल किया जायेगा तो फिर उक्त भुगतान के सम्बन्ध में जानकारी जनता को प्रदान करने में संकोच क्यों और इसे वाणिज्यिक अनुबंध बताया जाना सवर्था गलत है।

जिसकी सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप के द्वारा 1/8/16 को की गई जिसमें अपीलार्थी तो उपस्थित हुआ, लेकिन जवाब प्रस्तुत करने के लिए परिवहन आयुक्त कार्यालय से कोई भी सदस्य उपस्थित नहीं हो सका। जिसके चलते सूचना आयुक्त ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की और अपीलार्थी को पंद्रह दिवस में जानकारी उपलब्ध कराने के परिवहन आयुक्त को निर्देश दिए तथा राज्य सूचना आयोग भोपाल ने परिवहन आयुक्त ग्वालियर के उस फैसले को पलट दिया जिसमे परिवहन आयुक्त ने यह कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया था कि जानकारी देने से प्राइवेट कंपनी और मध्यप्रदेश शासन के वाणिज्यिक हित प्रभावित होंगे। विदित हो कि करोड़ो रूपए का घोटाला छुपाने की दृष्टि से परिवहन आयुक्त ने प्राइवेट कंपनी स्मार्ट चिप को किये जाने वाले भुगतान की जानकारी देने से इंकार किया था। यह पूरा मामला परिवहन विभाग में स्मार्ट चिप लिमिटिड, जो कि एक प्राइवेट कंपनी है जिस पर विभाग के समस्त कार्यो के कंप्यूटरीकरण करने का ठेका है को अधिक दरों पर ठेका दे कर सेकड़ो करोडों रूपए के भ्रष्टाचार का है जिसमे परिवहन विभाग के समस्त आला अफसर सम्मिलित है इसी मामले को दबाने के लिए जानकारी देने से इंकार किया गया था इस पूरे मामले की शिकायत विजय शर्मा पूर्व में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह और परिवहन आयुक्त इत्यादि सभी जगह कर चुके है।

अपीलार्थी को 15 दिवस में नि:शुल्क प्रदान करना होगा जानकारी
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ने 1 अगस्त 16 को सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहने के चलते अपीलीय अधिकारी व लोक सूचना अधिकारी परिवहन आयुक्त ग्वालियर को फटकार लगाने के साथ राज्य सूचना आयोग को जानकारी न देने की अलग वजह और आवेदक को अलग वजह बताने पर भ्रामक जानकारी देने पर भी परिवहन आयुक्त के प्रति नाराजगी व्यक्त की साथ ही कहा कि अपीलार्थी को पंद्रह दिवस के अंदर उक्त चाही गई जानकारी नि:शुल्क प्रदान की जाए एवं इस जानकारी से राज्य सूचना आयोग को भी अवगत कराया जाए।